अल्मोड़ा: इस मैदान से गांधी ने फूंका आजादी का बिगुल, यहीं से शुरु हुआ था सफर


अल्मोड़ा: देश की आजादी के लिए जब स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 19 जून, 1929 को अल्मोड़ा का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने रानीधारा में स्वतंत्रता सेनानी हरीश चंद्र जोशी के घर पर रात बिताई थी. वर्तमान में यह भवन ग्रेस स्कूल के रूप में कार्यरत है. अगले दिन, 20 जून को गांधी जी ने लक्ष्मेश्वर मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था, जहां उन्होंने लोगों को सत्यता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और आजादी की अलख जगाई. आज यह स्थान गांधी सभा स्थल शहीद पार्क लक्ष्मेश्वर के नाम से जाना जाता है.

सभा स्थल का क्या है महत्व
लक्ष्मेश्वर मैदान अब ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि यहीं महात्मा गांधी ने लोगों को प्रेरित किया था. नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा ने इस सभा स्थल को संरक्षित किया है और यहां शहीद स्मारक भी स्थापित किया गया है. स्थानीय निवासी त्रिलोचन जोशी बताते हैं कि जब आजादी का बिगुल बज रहा था, तब महात्मा गांधी ने इस मैदान में अपनी उपस्थिति से लोगों में जन चेतना जागृत की थी.

महात्मा गांधी का नीलाम किया गया लोटा
महात्मा गांधी द्वारा नीलाम किया गया लोटा आज भी सुरक्षित है और इसे व्यापारी धनी साह परिवार के पास रखा गया है. यह चांदी का लोटा बापू द्वारा बार-बार इस्तेमाल किया गया था और उन्होंने इसे आजादी के लिए नीलाम कर दिया था. यह लोटा महात्मा गांधी के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक चरणों का एक हिस्सा है.

स्थानीय निवासियों की यादें
स्थानीय निवासी सावल साह बताते हैं कि जब महात्मा गांधी अल्मोड़ा आए थे, तब उनके साथ जुड़ी सामग्री की नीलामी हुई थी. उनके दादाजी धनी साह ने इस लोटे को 11 रुपए में खरीदा था. यह लोटा आज भी संरक्षित रखा गया है और इसकी महत्वपूर्ण अहमियत है. महात्मा गांधी का अल्मोड़ा दौरा न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि इसने स्थानीय लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए भी प्रेरित किया था.

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