'आजादी के बाद से सबसे सफल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी', गृह मंत्री अमित शाह का दावा

सम्मेलन में अमित शाह ने कहा कि 1960 के दशक के बाद  से 2014 तक देश की जनता के मन में ये सवाल आ गया था कि ये मल्टी पार्टी व्यवस्था सफल रहेगी क्या? उन्होंने कहा कि 2014 तक रामराज्य का सपना ध्वस्त हो चुका था लेकिन जनता ने धैर्य के साथ 30 साल बाद 2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार दी और गैर कांग्रेसी पहली बहुमत वाली सरकार बनी. उन्होंने कहा कि वह मोदी जी के संगठन क्षमता के बारे में नहीं कहना चाहते लेकिन 2001 में पार्टी ने तय किया था कि मोदी जी गुजरात का सीएम बनेंगे जबकि सीएम बनने से पहले उन्होंने पंचायत चुनाव तक नहीं लड़ा था.

शाह ने बताया कि नरेंद्र मोदी पढ़ाई में सिर्फ एमए हैं. कोई बड़ी डिग्री नहीं है. उन्होंने कहा कि मोदीजी जब सीएम बने थे, तब गुजरात मे हालात अच्छे नहीं थे. लोगों को भरोसा नहीं था कि मोदी जी सफल सीएम बनेंगे लेकिन उन्होंने रिफॉर्म कर परिस्थितियां बदल दीं. उन्होंने कहा कि अनपढ़ों की फौज लेकर कोई देश विकास नहीं कर सकता और उन्हें शिक्षित करने की जिम्मेदारी शासन की है. शाह ने कहा, “अनपढ़ व्यक्ति सिस्टम का विक्टिम है.”

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गुजरात की बात करते हुए अमित शाह ने दावा किया कि मोदी जी जब सीएम बने, तब 68 फीसदी बच्च पढ़ते थे और 30 फीसदी ड्रापआउट थे लेकिन मोदीजी ने वहां ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान चलाया. मुख्यमंत्री से लेकर पटवारी तक स्कूल जा कर प्रवेश कार्यक्रम में जुट गए. शाह ने बताया कि जब विधानसभा में एक विधायक ने उठ कर कहा कि मोदी जी शाम को भोजन के वक़्त तो लाइट लाओ, तो मोदी जी ने कहा दिया कि 24 घंटे बिजली देंगे और उसे उन्होंने करके दिखाया.

शाह ने बताया कि जब मोदी जी ने 24 घंटे बिजली देने की बात कही थी तब मैं भी अचंभित था लेकिन मोदी जी ने एक नया रास्ता निकाला. एग्रीकल्चर ग्रिड और घर के ग्रिड को अलग-अलग किया और 24 घंटे बिजली आने लगा. इससे गांवों में बड़ा बदलाव हुआ. बतौर अमित शाह मोदी जी ने विकास के साथ कृषि को जोड़ा, कृषि महोत्सव किया. इसका परिणाम हुआ कि गुजरात ने 10 साल तक 10 फीसदी के हिसाब से कृषि ग्रोथ किया. लोगों को लगा कि जब गुजरात मे विकास हो सकता है तो देश में क्यों नहीं?

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गृह मंत्री ने कहा, 2014 में चुनाव आया, उस समय ऐसी सरकार थी कि पीएम को कोई पीएम नही मानता था. हर मंत्री खुद अपने को पीएम मानता था. पॉलिसी पैरालाइसिस था. देश की सुरक्षा खतरे में थी भ्रष्टाचार चरम पर था. लोगों मे गुस्सा था. हर तरफ आंदोलन चल रहा था. दिल्ली में आंदोलन हुआ, सबने देखा मैं भी उस वक़्त दिल्ली में था. लोगों में आक्रोश था. ऐसे माहौल में मोदी जी का नाम आया तो लोगों की सोच में परिवर्तन हो गया और लोगों को लगा कि इनके साथ भी एक्सपेरिमेंट करना चाहिये.

शाह ने दावा किया कि मोदी जी ने देश के पासपोर्ट का वैल्यू बढ़ाया है. विदेश में देश का गौरव बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि उरी और पुलवामा की आतंकी घटना के बाद दोनों बार सर्जिकल स्ट्राइक किए गए. आजादी के बाद अगर कोई सफल पीएम हुआ है तो वो नरेंद्र मोदी हैं. शाह ने कहा कि मोदी जी ने योजना बनाते समय उसके साइज और स्केल को बदल दिया. पहले ये बात होती थी कि 10 हजार घर देंगे, टॉयलेट वाला स्किम पहले भी था लेकिन मोदी जी ने कहा कि ये योजनाएं देश और जनता के कल्याण के लिए हो और मोदी जी ने तय किया कि सबको घर देंगे, सबको टॉयलेट देंगे. 

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बतौर शाह, मोदी जी ने ऐसी योजना नहीं बनाई जो लोगो को अच्छे लगे, बल्कि वो योजना बनाई जो लोगो के लिए अच्छा हो. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने कुछ कड़े फैसले भी किए. उसी में एक नोटबंदी है. नोटबन्दी के फैसले का सभी न विरोध किया, यूपी चुनाव था लेकिन फिर भी मोदी जी ने फैसला लिया कि अब ई पेमेंट का समय आ गया है. शाह ने कहा कि सभी पार्टियों ने इसका फायदा लेने की कोशिश की लेकिन यूपी नतीजे के बाद सब खत्म हो गया. 

उन्होंने कहा कि तीन तलाक़ का भी सभी ने विरोध केया लेकिन मोदी जी ने लागू कर दिखाया. एक रैंक, एक पेंशन का फैसला, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का फैसला,  सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक का फैसला उन्होंने लिया. और इससे साफ संदेश था कि भारत की सीमा और जमीन अब सुरक्षित है.

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शाह ने कहा,  “मैं 12 मार्च 1980 को पहली बार शाखा गया था, तब से सुन रहा था कि धारा 370 और 35A हटाना है, हटाना है. मोदी जी के शासन में 370 और 35A हट भी गया और देश में कुछ भी नहीं हुआ. कोई दंगा तक नहीं हुआ और राम मंदिर निर्माण भी शुरू हो गया.” उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले वही कर सकता है जो बड़े फैसले लेने की क्षमता रखता हो.  शाह ने कहा कि मोदी जी ने सीएए लागू किया, नक्सल इलाकों में 3 दशक में पहली बार मृतकों की संख्या 200 के नीचे लाया.

उन्होंने कहा कि मोदी जी ने नई शुरुआत की. इस देश मे ड्रोन को लेकर कभी कोई बात नहीं हुई, लेकिन पहली बार ड्रोन पॉलिसी बनी. शाह ने कहा कि माँ बाप अपने बच्चों से अपनी भाषा में बात करें क्योकि नौकरी के लिए भाषा की जरूरत नहीं है, बल्कि भाषा बातचीत का माध्यम है. अपनी भाषा अब खत्म हो रही है.

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