इस एकेडमी में बच्चे अपने हाथों से बना रहे हैं भविष्य के रोबोट और ड्रोन, जानें क्या कुछ है खास...


Robotics In Dehradun: वर्तमान समय में तेज़ी से बढ़ती तकनीक उत्तराखंड के नौनिहालों को पीछे न छोड़ दे, इस चिंता को देखते हुए देहरादून के प्रवल प्रताप सिंह ने बच्चों और युवाओं को नई टेक्नोलॉजी से जोड़ने का जिम्मा उठाया है. दून समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से बच्चे एमडी रोबोटिक एकेडमी (MD Robotic Academy) में रोबोट बनाने के गुर सिख रहे हैं. 2012 में दून से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग करने के बाद प्रवल मौजूदा समय में रोबोट बनाने के अलावा पाइथन कोडिंग, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, ऑटोमेटिक सर्किट बनाना और आर्टिफीशियल इंटेलिजेस की बारीकियों से रुबरु करवाते हैं. लोकल18 ने प्रवल प्रताप सिंह से इसको लेकर बातचीत की.

2017 में शुरु की एमडी रोबोटिक एकेडमी
2017 में प्रवल ने अपनी एक एकेडमी की शुरुआत की थी। जहां बच्चों को आधुनिक दौर की कई नई तकनीकों के बारे में बताया जाता है. रोबोटिक्स के बारे में पढ़ाने वाली यह उत्तराखंड की पहली एकेडमी है. राज्य के सभी जिलों के 80 से ज्यादा स्कूल इससे जुड़े हैं, जिसमें सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी इन सभी तकनीकों के बारे में बताते हैं. लोकल18 से बातचीत के दौरान प्रवल प्रताप सिंह(Praval Pratap Singh) कहते हैं कि मैंने जब इस एकेडमी को शुरु किया था तो लोगों का ज्यादा रुझान नहीं था, लेकिन अब कई बच्चे और युवा नई तकनीकों के बारे में जानने के लिए खासा उत्साहित हैं.

5 से 18 साल तक के बच्चों में इंट्रेस्ट
प्रवल प्रताप सिंह कहते है कि उनके पास पांच साल से लेकर 18 साल तक के स्टूडेंट्स रोबोटिक सीखने आते हैं. जिसमें पाइथन कोडिंग, सी प्लस प्लस लैंग्वेज, कोडिंग प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, ऑटोमेटिक सर्किट बनाना और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के बारे में बताया जाता है, जिससे कि बच्चा टेक्नोलॉजी के साथ अपडेट रहे और इस फील्ड को भी करियर के रुप में देख सकें. स्कूल के बच्चों की उम्र के हिसाब से उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. अब तक पूरे प्रदेशभर में 25 से 30 हज़ार छात्रों को रोबोटिक्स सिखा रहे हैं.

माता-पिता अब करते हैं गर्व महसूस
लोकल18 से बातचीत के दौरान प्रवल प्रताप बताते हैं कि पिताजी रेलवे में जॉब करते थे. उनकी फेमिली के ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी से जुड़े हैं. मैं पहला व्यक्ति को जो इस तरह के व्यवसाय में आया. यही कारण था कि शुरुआत में माता-पिता का इसको लेकर खास रुझान नहीं दिखा. लेकिन अब वे दोनों मुझ पर गर्व महसूस करते हैं. इसके अलावा हमारे यहां ड्रोन छोटे-छोटे बच्चे बनाते हैं. गौरतलब है कि ड्रोन का इस्तेमाल एग्रीकल्चर, हेल्थ, मैपिंग, डिफेन्स, एनवायरमेंट, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में किया जाता है.

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