देहरादून/बागेश्वर. उत्तराखंड का शिक्षा विभाग अपनी और छात्रों की मुश्किल को लेकर सुर्खियों में आ गया है. बड़ी खबर यह है कि इस साल 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में ऐसे छात्रों की संख्या काफी ज़्यादा है, जो अच्छे नंबरों या प्रतिशत के साथ पास हुए हैं, तो सरकारी कॉलेजों में इनके प्रवेश को लेकर संकट खड़ा हो गया है. दूसरी तरफ, पहाड़ के स्कूल और कॉलेज अपनी समस्याओं को लेकर प्रदेश सरकार पर पक्षपात और नाइंसाफी के आरोप लगा रहे हैं. यहां प्राथमिक विद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक के छात्र ज़िला मुख्यालय पहुंचकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कहीं उच्च शिक्षा मंत्री के पुतले जला रहे हैं. कुल मिलाकर पिछले दस दिनों में लचर शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल चुकी है.
पढ़ाई छोड़कर धरना प्रदर्शन कर रहे छात्र
न्यूज़18 की बागेश्वर संवाददाता सुष्मिता थापा की रिपोर्ट के मुताबिक हफ्ते भर पहले बागेश्वर के दूरस्थ क्षेत्र राजकीय इंटर कॉलेज रातिरकेटी के छात्र लम्बे समय से शिक्षक न होने की समस्या से जूझ रहे हैं. शिक्षक तैनात किए जाने की मांग लेकर ज़िला मुख्यालय पहुंचे इन छात्रों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया. इधर, ज़िला मुख्यालय के आदर्श प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की कमी से नाराज़ अभिभावकों ने विद्यालय गेट पर प्रदर्शन कर जल्द शिक्षकों की तैनाती की मांग की. यही हालात ज़िले की उच्च शिक्षा व्यवस्था के भी हैं. कॉलेजों में तो प्राचार्य ही नदारद रहते हैं. बागेश्वर महाविद्यालय के छात्र कई दिनों से पढ़ाई लिखाई छोड़ कर धरने पर बैठे हुए हैं.
उच्च शिक्षा मंत्री का पुतला जलाया
छात्रों का आरोप है कि पिछले दो साल में प्राचार्य बस कुछ ही दिन महाविद्यालय आई हैं. प्राचार्य के आएदिन छुट्टी पर रहने से छात्रों को छोटे छोटे काम भी नहीं हो पाते. छात्र इस बारे में उच्च शिक्षा मंत्री को भी ज्ञापन भेज चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. परेशान छात्रों ने उच्च शिक्षा मंत्री व प्राचार्य का पुतला दहन किया और कहा कि कॉलेज में जब तक प्राचार्य नहीं आते, तब तक धरना जारी रहेगा. दूसरी ओर, राज्य के सामने उच्च शिक्षा को लेकर नया संकट खड़ा हो गया है.
बागेश्वर ज़िले में इंटर कॉलेज में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रदर्शन करते छात्र.
कॉलेजों में ईवनिंग क्लास होगी?
इस साल ज़्यादा छात्रों के अच्छे अंकों के साथ पास हो जाने से सरकारी कॉलेजों में प्रवेश को लेकर दिक्कतें हो रही हैं. टीआईआई की एक खबर के मुताबिक उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने निर्देश दिए कि सरकारी संस्थानों में सीटें बढ़ाई जाएं. रावत ने कॉलेजों में ईवनिंग क्लास के विकल्प के ज़रिये ज़्यादा छात्रों को समाहित करने का विकल्प भी सुझाया है. छात्रों की ज़्यादा संख्या को कैसे कॉलेजों में खपाया जाएगा, यह आने वाले दिनों में तय हो सकता है.
आखिर कैसे हो गई सीटों की शॉर्टेज?
उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा की बात करें तो पिछले साल 12वीं में 80 फीसदी से कुछ ज़्यादा स्टूडेंट्स पास हुए थे जबकि इस साल 99.56 फीसदी पास हुए हैं. वास्तव में, कोविड के प्रकोप के चलते गाइडलाइन जारी की गई थी कि परीक्षाएं न लेकर इंटरनल असेसमेंट के आधार पर छात्रों का रिज़ल्ट तैयार किया जाएगा. इसके चलते इस बार ज़्यादा छात्र उच्च शिक्षा लेने के लिए तैयार हैं और कॉलेजों में सीमित सीटें होने से मुश्किल खड़ी हुई है.
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