उत्तराखंड के दो भाइयों की जोड़ी ने किया कमाल! विदेश की नौकरी छोड़ बने "पैडमैन", करोड़ों का टर्नओवर


दीक्षा/ हल्द्वानी:  पीरियड्स के दिनों में महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड बहुत जरूरी होता है. इन दिनों ये महिलाओं से काफी प्रचलित है, लेकिन कुछ महिलाएं आज भी इससे अनभिज्ञ है. खासकर गांव की महिलाएं आज भी कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. जिससे उन्हें कई तरह की बीमारियों से गुजरना पड़ता है. ऐसे में इन महिलाओं को जागरूक करने की जिम्मेदारी हल्द्वानी के दो भाइयों ने उठाई. दोनों भाइयों ने शिपरो नाम की सेनेटरी नैपकीन बनाने की कंपनी खोली, आज इसका सलाना टर्नओवर करोड़ों रुपए का है, लेकिन ये गांव की जरूरतमंद महिलाओं को आज भी निशुल्क पैड वितरीत करते हैं.

आज हल्द्वानी के दोनों युवा पैडमैन बनकर हल्द्वानी में अपने आपको एक बड़े कारोबारी के रूप में स्थापित कर लिए हैं. कुसुमखेड़ा निवासी रिश्ते के भाई ललित मिश्रा (32) और राहुल जोशी (30) कोरोना से पहले विदेश में नौकरी करते थे. ललित दुबई में एक एमएनसी में होटल मैनेजर व राहुल बहरीन के अस्पताल में कार्यरत थे. लगभग आठ-दस साल वहां नौकरी करने के बाद कोविड में नौकरी छूटी तो 2020 में भारत लौटे. कोरोना काल में जब सब घर में बंद थे, तब दोनों भाइयों ने शिपरो नाम की कंपनी शुरू की. इसमें महिलाओं के लिए सेनेटरी नैपकिन बनाना शुरू किया. ललित ने बताया कि अभी शिपरो उत्तराखंड का पहला ब्रांड है. उत्तराखंड के साथ-साथ दिल्ली, राजस्थान, मध्य-प्रदेश समेत कई राज्यों में  उनकी सेनेटरी नैपकिन सप्लाई हो रही हैं. ललित ने बताया कि उन्हें कुछ समय पूर्व ही वन विभाग में प्रशासकीय सहायक पद तैनाती मिली है. अब कंपनी राहुल संभाल रहे हैं.

कहां से आया आइडिया
ललित ने बताया कि कोविड में जब वह घर लौटे, तो राहुल के साथ गांव व आसपास के इलाकों में जाकर महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और स्वच्छता शिविर लगाया. तब उन्हें पता चला कि कई महिलाएं व युवती महंगाई के कारण सेनेटरी नैपकिन नहीं खरीद पाती हैं. इसके बाद दोनों ने सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाने की योजना पर काम किया. शुरुआत में उन्होंने स्कूलों व गांव में शिविर लगाकर निशुल्क पैड बांटे. अब कई स्कूल व कंपनियों में वेडिंग मशीन लगाई है. स्कूलों में अभी भी निशुल्क पैड वितरित कर रहे है. उन्होंने बताया कि एक सर्वे में पता चला की वर्तमान में उनके नैपकिन उत्तराखंड में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड है.

नेशनल लेवल तक बनानी है शिपरों की पहचान
ललित ने बताया कि अब वह शिपरों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने पर काम कर रहे है. कंपनी अब बच्चों व बड़ों के लिए भी प्रोड्क्टस बनाने पर काम शुरू करने वाली है. उन्होंने बताया कि जल्द ही सभी ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे की अमेज़न, फ्लिपकार्ट पर उनके नैपकीन उपलब्ध होंगे.

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