जयपुर। क्रिकेट के ग्लेमर, हॉकी के स्वर्णिम इतिहास और कुछ चुनिंदा खेलों की चमक के बीच एक खेल ऐसा भी है, जिसमें दुनिया में सिर्फ भारत का डंका बजता है। इस खेल ने देश को एक-दो नहीं दो दर्जन से ज्यादा वर्ल्ड चैंपियनशिप और वर्ल्ड कप विजेता दिए हैं। लेकिन भारत से ही निकला कैरम का ये खेल आज घर में ही अनदेखी का शिकार बना है। भले ही हर घर में ये खेल खेला जाता है लेकिन स्कूली खेलों में इसे कभी स्थाई जगह नहीं मिल सकी। ये पीड़ा है कैरम फेडरेशन ऑफ इंडिया की महासचिव भारती नारायण की। मंगलवार को यहां सवाई मानसिंह स्टेडियम में शुरू हुए भारतीय जीवन बीमा निगम खेलों के दौरान भारती नारायण ने नवज्योति से बातचीत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की उपलब्धियों को साझा किया।
1956 में हुआ राष्ट्रीय फेडरेशन का गठन
भारती नारायण ने बताया कि कैरम का खेल रियासतों के समय से ही भारत में खेला जा रहा है लेकिन 1956 में यहां राष्ट्रीय फेडरेशन का गठन हुआ और 1991 में इंटरनेशनल फेडरेशन की शुरुआत भी भारत से ही हुई। उन्होंने बताया कि अब तक इस खेल की 50 से ज्यादा नेशनल चैंपियनशिप, 8 वर्ल्ड चैंपियनशिप और छह वर्ल्ड कप आयोजित किए जा चुके हैं। 1991 में जब सिर्फ सात स्टेट यूनिटों के साथ फेडरेशन का गठन हुआ तब एम चेन्ना रेड्डी, जो राजस्थान के गवर्नर भी बने, इसके पहले अध्यक्ष बने थे। आज 31 स्टेट और 17 उपक्रमों की टीमें नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेती हैं।
वर्ल्ड कप में 21 पदक थे दाव पर, भारत के हाथ से सिर्फ कांस्य छिटका
भारती ने बताया कि इसी साल अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुए वर्ल्ड कप में अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, पोलैंड, स्विटरलैंड, न्यूजीलैंड, चैक रिपब्लिक, सर्बिया, कनाडा, इंग्लैंड, भारत, श्रीलंका, मलेशिया, मालदीव, कोरिया और यूएई समेत कुल 17 देशों ने हिस्सा लिया। वर्ल्ड कप में पुरुष-महिला एकल, युगल, टीम चैंपियनशिप और स्विस लीग इवेंट में कुल 21 पदक दाव पर थे। इनमें भारत ने सात स्वर्ण, सात रजत और छह कांस्य पदक जीते। सिर्फ एक मात्र कांस्य पदक भारत के हाथ से फिसला।
26 साल बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा भारत
कैरम की पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप 1991 में भारत में हुई। भारत ने दूसरी बार 2000 में इसकी मेजबानी की और अब 26 साल बाद फिर से इसकी मेजबानी भारत को मिली है। भारती ने बताया कि अगले साल इसका आयोजन हम करेंगे। अभी मेजबान शहर का चयन किया जाना बाकी है। उन्होंने बताया कि 1991 में से शुरू हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में हर बार महिला सिंगल्स और टीम चैंपियनशिप का खिताब भारत ने जीता। पुरुष वर्ग में सिर्फ एक बार 2012 में हम श्रीलंका से हारे। बाकी सारे खिताब भारत के नाम हैं।
अप्पा राव और लिंडा पिंटो बने पहले राष्ट्रीय चैंपियन
पहली राष्ट्रीय चैंपियनशिप 1956 में गुंटूर में हुई और आंध्र प्रदेश के ए अप्पाराव पुरुष वर्ग में पहले राष्ट्रीय चैंपियन बने, वहीं 1959 में शुरू हुई महिला चैंपियनशिप में पहला खिताब महाराष्टÑ की लिंडा पिंटो ने जीता।
रश्मि बनीं तीन बार वर्ल्ड चैंपियन, मारिया-शंकरा दो-दो बार विजेता
वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत की रश्मि कुमारी तीन बार चैंपियन बनी हैं, वहीं इला वाजगी ने दो बार तथा अनु राजू, सी रेवती और एस अपूर्वा ने एक-एक बार खिताब जीता। पुरुष वर्ग में मारिया इरुद्यम और आरएम शंकरा दो-दो बार चैंपियन बने, जबकि योगेश परदेसी, प्रशांत मोरे और संदीप दिवे ने एक-एक बार खिताब अपने नाम किया। वर्ल्ड कप के अब तक हुए छह संस्करण में हर बार पुरुष और महिला दोनों वर्गों में भारतीय ही चैंपियन रहे हैं।