कोविड में माता-पिता को खो दिया और अब MP सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद भी हो गई बंद 


भोपाल:

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हजारों बच्चों ने कोविड-19 (Covid-19) के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया था. इनमें से बहुत से ऐसे हैं, जिन्‍हें एक साल से अधिक समय से राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता नहीं मिली है. इस वित्तीय सहायता का वादा उनके मुश्किल जीवन को थोड़ा आसान बनाने के लिए किया गया था. 

मई 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि जिन बच्चों ने अपने परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य को कोविड-19 के कारण खो दिया है, उन्हें हर महीने 5,000 रुपये और मुफ्त शिक्षा मिलेगी. हालांकि कई लाभार्थियों ने हाल के महीनों में इन वादों को विफल होते देखा है. 

1000 से ज्‍यादा बच्‍चों ने माता-पिता को खो दिया 

कोविड महामारी के दौरान मध्य प्रदेश में 1,041 बच्चों ने अपने माता और पिता दोनों को खो दिया था, जबकि 8,000 बच्चों के माता-पिता में से कोई एक नहीं रहा था. 

अकेले भोपाल में ऐसे 1,662 बच्चे हैं और वनिशा और विवान पाठक उनमें से एक हैं, जिन्होंने अपने माता और पिता दोनों को कोविड के कारण खो दिया था. वनिशा 10वीं कक्षा में 99.8 फीसदी अंक हासिल कर भोपाल टॉपर बनीं और उसका भाई विवान अभी 8वीं कक्षा में है और अपनी बहन के  नक्शे कदम पर चलने की इच्छा रखता है.

आखिरी बार जनवरी 2023 में मिला था पैसा : विवान 

सरकार उनके जैसे बच्चों के लिए दो योजनाएं चला रही है: स्‍पोंसरशिप योजना और मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना. वे  इन योजनाओं के तहत हर महीने 5,000 रुपये के हकदार हैं, लेकिन डेढ़ साल से अधिक समय से उन्हें पैसा नहीं मिल रहा है. 

विवान ने कहा, “हमें आखिरी बार जनवरी 2023 में पैसा मिला था. तब से न मेरी बहन और न ही मुझे हमारे अकाउंट में कुछ मिला है.”

उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, “हमारे मामा-मामी स्कूल की फीस भर रहे हैं, क्योंकि सरकार मदद नहीं कर रही है. कई बच्‍चे हमसे भी बदतर स्थिति में हैं, जो हर दिन अधिकारियों से पूछते हैं कि पैसा कब आएगा, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता.”

घोषणाएं करते हैं, फिर बंद कर देते हैं : डॉ. भावना 

विवान की मामी डॉ. भावना ने कहा, “इन बच्चों को सरकार के वादों के पूरा होने का इंतजार करते हुए देखना दिल दहला देने वाला है. वे घोषणाएं करते हैं लेकिन फिर योजनाएं बंद कर देते हैं. स्थिति भयानक है. कई बच्चों को स्कूल छोड़कर काम करना शुरू करना पड़ा है.”

बच्चों को आयुष्मान भारत कार्ड देने का भी वादा किया गया था, जिससे उनकी स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कवर किया जा सके, लेकिन वहां भी खामियां रही हैं. 

विवान ने कहा, “हमें आयुष्मान कार्ड मिले हैं, लेकिन वे कभी भी एक्टिव नहीं हुए. जब ​​भी हम उन्हें एक्टिव करने जाते हैं तो हमें बाद में वापस आने के लिए कहा जाता है क्योंकि सर्वर डाउन है.”

डॉ. भावना ने कहा, “कुछ बच्चे बहुत बीमार हो गए, वनिशा बीमार थी और उसके इलाज का खर्च एक लाख रुपये था. आयुष्मान योजना ने हमें कोई लाभ नहीं दिया है. हम प्रबंधन किया, क्योंकि हम कर सकते हैं, लेकिन कुछ बच्चों का भविष्य अनिश्चित है.”

कोई भी योजना बंद नहीं होगी : CM यादव  

इन समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि कोई भी योजना बंद नहीं की जाएगी.

उन्‍होंने कहा, “हमने सबसे पहले यह पहल शुरू की है और कोई भी चल रही योजना बंद नहीं की जाएगी. यदि तकनीकी समस्याएं हैं, तो हम उन्हें हल करेंगे. हमारा लक्ष्य वित्तीय सहायता प्रदान करना ही नहीं है बल्कि लोगों को रोजगार के अवसरों से जोड़ने के लिए भी है.” 


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