क्यों खास माना जाता है अल्मोड़ा का दशहरा? हर मोहल्ले में बनाया जाता है रावण


अल्मोड़ा: उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का दशहरा देशभर में प्रसिद्ध है. इसे भारत का तीसरा सबसे बड़ा दशहरा माना जाता है. पहले नंबप पर मैसूर और दूसरे पर कुल्लू-मनाली का दशहरा आता है. अल्मोड़ा के दशहरे की खासियत यहां बनने वाले रावण परिवार के बड़े-बड़े पुतले हैं, जिन्हें युवा और बड़े कलाकार दिन-रात मेहनत कर बनाते हैं. इन पुतलों में क्राफ्ट वर्क भी देखने को मिलता है. अल्मोड़ा के अलग-अलग मोहल्लों में रावण परिवार के पुतले बनाए जाते हैं और मोहल्लों के बीच इन्हें सबसे बेहतर बनाने की होड़ लगी रहती है. विजयदशमी के दिन इन पुतलों को नगर में घुमाया जाता है और देर रात को अल्मोड़ा के मैदान में उनका दहन किया जाता है.

अलग-अलग मोहल्लों में रावण परिवार के पुतले बनते हैं
अल्मोड़ा के कई मोहल्लों में रावण परिवार के विभिन्न पुतले बनाए जाते हैं. जैसे पलटन बाजार में मेघनाथ, थाना बाजार में दूषण, जोहरी बाजार में कुंभकरण, हुक्का क्लब में ताड़िका, कारखाना बाजार में अक्षय कुमार, और नंदा देवी में रावण का पुतला तैयार किया जाता है. इन मोहल्लों के लोग पुतलों को और भी बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं ताकि उनका पुतला सबसे आकर्षक हो.

कलाकार अमन नज्जौन और चौक बाजार का कल्कासुर पुतला
अमन नज्जौन, जो अल्मोड़ा के चौक बाजार में 2016 से कल्कासुर का पुतला बना रहे हैं, उन्होंने लोकल 18 से खात बातचीत में बताया कि रावण परिवार के पुतले बनाने की यह परंपरा युवाओं के साथ-साथ बड़े कलाकारों का भी साथ लेकर चलती है. हर मोहल्ले में यह होड़ लगी रहती है कि उनका पुतला सबसे बेहतर हो, और इसके लिए युवा कलाकार बहुत मेहनत करते हैं. स्कूल और कॉलेज के छात्र, दुकानदार, और कई अन्य लोग इस प्रक्रिया में भाग लेते हैं.

रावण के पुतले में क्राफ्ट वर्क और नई तकनीक
कलाकार अंकुर बिष्ट ने बताया कि 2024 के लिए रावण परिवार के पुतले बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. पुतले के साथ क्राफ्ट वर्क भी किया जा रहा है, जिसमें ढाल, तलवार आदि चीजें बनाई जाती हैं. पुतले को आकर्षक बनाने के लिए कलाकार कड़ी मेहनत करते हैं ताकि लोग देखकर खुश हों.

35 साल की परंपरा
कलाकार आयुष जोशी ने बताया कि अल्मोड़ा के थाना बाजार में पिछले 35 सालों से दूषण का पुतला बनाया जा रहा है. पहले इसे बड़े कलाकार बनाते थे, लेकिन अब युवा कलाकार मिलकर इसे तैयार करते हैं. छोटे बाल कलाकार भी इस प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं और हर साल कुछ नया दिखाने की कोशिश की जाती है. इस बार भी पुतले में विशेष निर्माण कार्य किया जा रहा है ताकि लोगों को कुछ नया और खास देखने को मिले.

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