द्रौपदी मुर्मू सोमवार को देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाली हैं.राष्ट्रपति-निर्वाचित द्रौपदी मुर्मू सादगी में विश्वास करती हैं और वह हमेशा दूसरों की सहायता करती रहीं हैं. मुर्मू की शिक्षक और उनके मित्रों ने यह बात कही है. एनडीटीवी के साथ बात करते हुए उनके क्लासमेट राम चंद्र हेम्ब्रम ने कहा कि वो क्लास 6-7 में क्लास मॉनिटर हुआ करती थी. साथ ही उन्होंने कहा कि वो पढ़ने में काफी तेज थी. स्कूल के दिनों में बच्चे जब आपस में झगड़ा करते थे तो वो उसे सुलझाती थी.
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उपरबेड़ा गांव में मुर्मू के उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बासुदेव बेहरा ने कहा कि भौतिकवादी आधिपत्य छोड़ना उनका एक अंतर्निहित गुण रहा. बेहरा ने एक घटना को याद करते हुए कहा, ‘‘द्रौपदी के पिता बिरंच टुडू उपरबेड़ा गांव के प्रधान थे और परिवार गरीबी से जूझ रहा था.वह एक फ्रॉक में स्कूल आती थीं और उनके पास ज्योमेट्री बॉक्स नहीं होता था. स्कूल ने उन्हें ज्योमेट्री बॉक्स प्रदान किया था.”उन्होंने कहा कि स्कूल में एक छोटा ‘पुस्तक बैंक’ था, जहां से ऐसे छात्र किताबें ले सकते थे जो इन्हें खरीदने का खर्च नहीं उठा सकते थे. बेहरा ने कहा, ‘‘द्रौपदी ने पुस्तक बैंक से किताबें ली थीं.
हालांकि, जब उन्होंने हमारे उच्च प्राथमिक विद्यालय में सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की, तो उन्होंने न केवल वे किताबें लौटा दीं, बल्कि दूसरों की मदद के लिए अपनी किताबें और नोट्स भी प्रदान किये.”मुर्मू के मददगार स्वभाव को याद करते हुए शिक्षक ने कहा, ‘‘द्रौपदी अक्सर सभी कक्षाओं के लिए हाथ से बने डस्टर उपलब्ध कराती थीं. उन्होंने फटे कपड़ों से ये डस्टर बनाये थे.”
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