गजब: एक के पिता मजदूर...तो दूसरा खुद करता है मजदूरी, मेरिट में आए दोनों छात्र


हिमांशु जोशी/पिथौरागढ़: मेहनत और लगन के आगे सुख-सुविधाएं मायने नहीं रखतीं… इस बात को पिथौरागढ़ के ग्रामीण इलाकों के दो होनहारों ने सिद्ध कर दिखाया है. गरीबी में जीवन यापन कर रहे दो छात्र जीवन सिंह राणा और देवेंद्र बिष्ट ने उत्तराखंड बोर्ड रिजल्ट में प्रदेश की मेरिट में स्थान हासिल कर नाम रोशन किया है.

इन दोनों ने उनको भी आइना दिखाया है, जो सुविधायुक्त शिक्षा के लिए पहाड़ों से पलायन कर जाते हैं. जीआईसी बिर्थी के छात्र जीवन सिंह राणा ने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 94.60 फीसदी अंक प्राप्त कर प्रदेश में 22वां स्थान प्राप्त किया है. वहीं जीआईसी बांसबगड़ के 12वीं के छात्र देवेंद्र सिंह बिष्ट ने प्रदेश की वरीयता सूची में 24वां स्थान प्राप्त किया है.

पिता मजदूर तो बेटा होनहार
छात्र जीवन की बात करें तो उनके गांव में कोई स्कूल न होने के कारण वह रोजाना 7 किलोमीटर दूर बिर्थी जाकर पढ़ते हैं. पढ़ने के लिए कुल 14 किलोमीटर रोज चलना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है. जीवन के पिता मजदूरी करते हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.

दिन में मजदूरी और रात में पढ़ाई
वहीं देवेंद्र बिष्ट भी रोज ग्राम पंचायत राया के गोलगांव से चार किलोमीटर की पथरीली पगडंडियों से पैदल चलकर विद्यालय पहुंचता था. पिता का स्वास्थ्य खराब होने के कारण देवेंद्र परिवार का खर्चा वहन करने के लिए दिन में मजदूरी तो रात को पढ़ाई करता था. देवेंद्र के दो बड़े भाई हैं. सबसे बड़ा भाई कॉलेज की पढ़ाई के साथ ट्यूशन पढ़ाकर खर्च चला रहा है, जबकि दूसरा भाई धन के अभाव में पढ़ाई छोड़कर महाराष्ट्र में मजदूरी कर रहा है. देवेंद्र की मां तुलसी देवी भी मजदूरी और दूध बेचकर बच्चों का लालन-पालन करती हैं. देवेंद्र ने 500 में से 463 अंक प्राप्त किए हैं.

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