देहरादून. उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक गुलदार की दहशत बनी हुई है. पौड़ी के रिखणीखाल में तो गुलदार के आतंक के कारण स्कूल बच्चों को पुलिस सुरक्षा में भेजा जा रहा है. लेकिन आप चौंक जाएंगे ये जानकर कि उत्तराखंड में गुलदार से भी ज्यादा इंसानी मौतें सांपों के काटने से होती है. उत्तराखंड में गुलदार, हाथी, भालू जैंसे जंगली जानवरों का आतंक आम बात है. पिछले 24 सालों में करीब बारह सौ लोगों की मौत जंगली जानवरों के हमले के कारण हुई है, तो करीब छह हजार लोग इनके हमले में घायल हुए हैं. इनमें सर्पदंश की घटनाएं भी शामिल हैं. लेकिन सबसे ज्यादा जो मौतें रिकॉर्ड की गई हैं, वो सांप के काटने से हैं.
वन विभाग का रिकॉर्ड बताता है कि पिछले पांच साल में गुलदार के हमलों में 103 लोगों की मौत हुई और 459 लोग घायल हुए. जबकि सर्पदंश से 118 लोगों की मौत हुई और 460 लोग घायल हुए. सर्पदंश के इन आंकड़ों ने मैन एनिमल कॉन्फिलक्ट कम करने की दिशा में किए जा रहे वन विभाग के प्रयासों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. समस्या ये है कि गुलदार के हमलों को रोकने का उपाय तो किया जा सकता हैं. मसलन इलेक्ट्रिक फेंसिंग करना, गुलदार को ट्रेंक्यूलाइज करना, लोगों को सचेत करना जैंसे प्रयास किए जाते रहे हैं. लेकिन सर्पदंश की घटनाओं को कैंसे रोका जाए, ये एक बड़ा चैलेंज बना हुअ है.
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उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने काफी माथा पच्ची के बाद इसका एक उपाय निकाला है. सांप के काटने से अधिकतर मौतें एंटी वेनम इंजेक्शन के समय पर न मिलने के कारण होती हैं. वन विभाग ने इसके लिए सर्पदंश के लिहाज से संवेदनशील प्रदेश के 12 डिवीजनों को चिन्हित कर उनकी 55 चौकियों में एंटी वेनम इंजेक्शन को स्टोर कर दिया है. ताकि, सर्पदंश की स्थिति में दवाई के लिए भटकने के बजाए मरीज को तत्काल एंटी वेनम इंजेक्शन दिया जा सके. वन विभाग की चौकियों से इसे नि़शुल्क प्राप्त किया जा सकता है.
एंटी वेनम इंजेक्शनस अब पाउडर फार्म में
उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा का कहना है कि एंटी वेनम के इन इंजेक्शनस की खासियत ये भी है कि ये पाउडर फॉर्म में है. जिसे डिस्टिल वाटर के साथ घोल कर इंजेक्शन में भर लिया जाता है. आम तौर पर एंटी वेनम इंजेक्शन को फ्रीजर में रखना होता है. लेकिन पाऊडर फॉर्म में होने के कारण इसे फ्रीजर की आवश्यकता नहीं है. राजाजी टाइगर रिजर्व के सीनियर वेटरनरी अफसर राकेश नौटियाल का कहना है कि ये इंजेक्शन मुख्य रूप से सबसे जहरीले चार सांपों कोबरा, कॉमन क्रेत, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर के जहर को मिलाकर बनाया गया है. यानि इनके काटने की सूरत में इस इंजेक्शन को दिया जा सकता है. उत्तराखंड में अधिकतर इन्हीं सांपों के काटने से लोगों की मौत होती रही है.
सैकडों सांपों का रेस्क्यू कर चुके अरशद खान
हरर्पेटोलॉजी में डिप्लोमा कर चुके देहरादून फॉरेस्ट डिवीजन में रेस्कयू का काम करने वाले अरशद खान अभी तक सैकडों सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं. अरशद का कहना है कि मानसून सीजन में सांप के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं. क्योंकि इन दिनों बिलों में पानी घुसने के कारण सांप सुरक्षित जगह के लिए बिल से बाहर निकल आते हैं.
सांप काटने अब तक इतने लोगों की हो चुकी मौत
सांप के काटने की सूरत में शुरूआती आधा, एक घंटा गोल्डन ऑवर होता है. यदि इस टाइम पीरियड में पेशेंट को एंटी वेनम इंजेक्शन दे दिया जाए. तो उसकी जान बच सकती है. ऐसे में वन विभाग की चौकियों में इंजेक्शन उपलब्ध हो जाए, तो कई लोगों की जान बच सकती है. उत्तराखंड में 2021 और 2022 दो ऐसे साल रहे, जब सर्पदंश से सबसे अधिक तीस-तीस लोगों की मौत हुई और 234 लोग घायल हुए. इस साल भी अभी तक 14 लोगों की सांप के काटने से मौत हो चुकी है. लिहाजा, इस मौसम में खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है.
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FIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 22:28 IST