छोटे विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग स्कूलों में अलग-अलग किताबें

जयपुर। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (आरबीएसई) स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2024-25 की कक्षाएं शुरू हो गई हैं। दाखिले की प्रक्रिया शुरू होते ही अभिभावकों की जेब खाली होनी भी शुरू होने लग गई है, क्योंकि नए सत्र से स्कूली फीस में 8 से 10 फीसदी तक वृद्धि हो गई। किताबों के दाम बढ़ने से अभिभावकों पर भार बढ़ेगा। बताया जा रहा है कि निजी स्कूलों में कक्षा 5वीं तक विद्यार्थियों को अपने स्तर पर किताबें खरीदने के लिए बोला जा रहा है। कक्षा 6 से कक्षा 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए एनसीईआरटी की किताबें खरीदी जा रही हैं। छोटे विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग स्कूलों में अलग- अलग किताबें हैं। ये किताबें केवल निश्चित दुकान पर ही मिल पाती हैं। इस दाम में कक्षा 6 से कक्षा 12वीं तक की किताबें मिलती हैं, उतने में ही केजी की किताबें मिल रही हैं। इससे अभिभावक हैरत में हैं।

ऐसे बढ़ेगा अभिभावकों पर भार
अगर कक्षा 8 के विद्यार्थी की फीस 30,000 रुपए प्रतिवर्ष मानी जाए तो इस सत्र में 10 फीसदी वृद्धि होने पर फीस में 2000 के बढ़ोतरी होगी। इसी प्रकार प्रतिवर्ष दो से तीन हजार रुपए की किताबों में भी 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने के बाद 300 अतिरिक्त देने पड़ेंगे। इसके साथ ही विद्यार्थी की ओर से पहने जाने वाली स्कूल ड्रेस की राशि में भी वृद्धि होगी। शिक्षाविद् डॉ. आरबी कुमावत ने कहा कि निजी स्कूलों में अलग-अलग प्रकार की किताबें लागू करना अनिवार्य नहीं हैं। निजी स्कूलों की फीस इनकी समिति तय करती है। निजी स्कूल फीस बढ़ाने के बाद इसकी सूचना शिक्षा विभाग के पोर्टल पर देंगे और अनुमति मिलने के बाद इसे लागू करेंगे।

फीस बढ़ोतरी से जेब पर बोझ
स्कूलों की फीस भी अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ेगी। कई स्कूलों ने शैक्षणिक सत्र 2024-2025 के लिए फीस में बढ़ाई जा रही है। नए सत्र की दाखिला प्रक्रिया भी जल्द शुरू हो गए है। बताया जा रहा है कि कौनसी किताब खरीदनी हैं, यह स्कूल ने निर्धारित किया है। एनसीईआरटी के साथ ही निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदवाई जा रही हैं।

 

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