देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कई महिलाएं अलग-अलग काम कर रही हैं. वे खुद तो अपने लिए रोजगार जुटाने का काम कर ही रही हैं, इसके साथ ही वे अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं. गीतांजलि भी कुछ ऐसा ही काम कर रही हैं. गीतांजलि का परिवार कश्मीर से पलायन करके देहरादून आया था. गीतांजलि गौरैया नाम से एक संस्था चला रही हैं, जो वेस्ट मैटेरियल पर काम करती है. गीतांजलि कपड़ों की कतरनों से कुशन कवर, बेडशीट, नोटबुक कवर और पर्स आदि तैयार करती हैं. वह रीसाइक्लिंग पर विशेष ध्यान देती हैं और स्कूलों में जाकर बच्चों को इनके फायदे बताती हैं. पलटन बाजार में लोग उन्हें ‘झोला मैडम’ कहकर बुलाते हैं.
देहरादून के चन्द्रोटी की रहने वालीं गीतांजलि वर्मा ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा कि उनके पूर्वज पाकिस्तान में रहा करते थे और वहां से उन्होंने पलायन किया और फिर वह कश्मीर में रहने लगे लेकिन साल 2006 में उनके अभिभावक कश्मीर छोड़कर देहरादून आकर बस गए. उन्होंने डिजाइन स्कूल जॉइन किया. उन्होंने पैचवर्क से जुड़े कोर्स किए. उन्होंने गौरैया नाम से एक समूह बनाया. वह इसके माध्यम से महिलाओं को ट्रेनिंग देने का काम भी करती हैं. महिलाओं के साथ मिलकर वह टेलर के पास बची कतरनों से कई तरह के आइटम बना देती हैं, जैसे- कुशन कवर, बेडशीट, नोटबुक कवर और पर्स आदि. वह प्रोडक्ट में नए कपड़ों का प्रयोग कम से कम करती हैं.
दिल्ली-हैदराबाद से भी मंगाती हैं कतरन
उन्होंने कहा कि हम कतरनों से पैच वर्क करके बैग और थैला बनाते हैं. उत्तराखंड के कई इलाकों में वह ऐसी संस्थाओं की महिलाओं के साथ मिलकर काम कर रही हैं, जो आर्थिक रूप से मजबूत बनना चाहती हैं. न सिर्फ देहरादून बल्कि दिल्ली-हैदराबाद से भी वह कतरने इकट्ठा करके उनका उपयोग करती हैं. कतरन और कागजों का इस्तेमाल इसीलिए जरूरी है क्योंकि यह रिसाइकिल होते हैं और पर्यावरण के लिए अनुकूल होते हैं जबकि पॉलीथिन और प्लास्टिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. इसकी महत्वता को छोटे बच्चों और युवाओं को समझाना बहुत जरूरी है, इसीलिए हम स्कूलों में जाकर इसके लिए वर्कशॉप करते हैं.
पलटन बाजार में गीतांजलि को कहते हैं ‘झोला मैडम’
गीतांजलि बताती हैं कि हम महिलाओं के साथ मिलकर कभी भी पलटन बाजार में निकल पड़ते हैं और लोगों को कपड़ों से बने बैग (झोले) देते हैं, जिसके चलते उन्हें ‘झोला मैडम’ भी कहा जाता है. उनकी टीम में विधवा से लेकर तलाकशुदा महिलाएं जुड़ी हैं, जो इस काम को करके अपना परिवार भी चला रही हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 14:08 IST