देहरादून. बच्चों में कई प्रतिभाएं छिपी होती हैं. सुंदर पेंटिंग बनाने वाले स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के बुद्ध चौक स्थित कला केंद्र में प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है, जिसमें देहरादून के बड़े स्कूलों से लेकर स्लम एरिया के बच्चों के हुनर को मंच दिया गया है. यहां आप कैनवास पेंटिंग, ऑयल पेंटिंग और उत्तराखंड की संस्कृति, प्रकृति और मॉडर्न चीजों पर आधारित म्यूरल आर्ट देख सकते हैं. बच्चों ने दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला, मदर टेरेसा, छत्रपति शिवाजी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद आकर्षक स्केच बनाए हैं.
कला प्रदर्शनी की शुरुआत 25 दिसंबर से हुई थी, जो 4 जनवरी 2025 तक आयोजित की जाएगी. कला केंद्र के ट्रस्टी मेंबर डॉ अजय वर्मा ने लोकल 18 से कहा कि 25 दिसंबर को कला केंद्र के संस्थापक डॉ द्विजेन्द्र सेन की जयंती होती है, जिस पर यहां चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. इस साल भी चित्रकला प्रदर्शनी शुरू हो गई है. इसमें देहरादून के कई बड़े स्कूलों के बच्चों की पेंटिंग्स के साथ-साथ स्लम एरिया पर काम करने वाली संस्था ‘आसरा ट्रस्ट’ के बच्चों की पेंटिंग और स्केच भी प्रदर्शित किए गए हैं. इस प्रदर्शनी में उत्तराखंड की संस्कृति, कुदरत की खूबसूरती के अलावा सिद्धू मूसेवाला जैसे यूथ आइकॉन का बेहद ही खूबसूरत स्केच आपको यहां देखने के लिए मिलेगा.
देहरादून के इन स्कूलों के बच्चों ने दिखाया हुनर
उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स ने प्रसिद्ध हस्तियों के चित्र, प्राकृतिक सौंदर्य पर आधारित चित्र, समकालीन कला, पारंपरिक कला रूपों को चित्रकला के माध्यम से प्रदर्शित किया है. इसमें कला केंद्र के छात्रों के अलावा आसरा ट्रस्ट, सेंट ज्यूड्स स्कूल, दून गर्ल्स स्कूल, सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल, समरफील्ड स्कूल हरबर्टपुर, जॉन मार्टिन मेमोरियल स्कूल, ओलंपस हाई स्कूल, मोंटेसरी स्कूल, स्कॉलर्स होम, पुरकल युवा विकास सोसायटी, जसवंत मॉडर्न स्कूल जैसे स्कूलों के छात्रों ने अपने कलाकृतियां प्रस्तुत कर अपने हुनर को दिखाया है.
1949 में हुई थी कला केंद्र की स्थापना
कला केंद्र के निदेशक कर्नल विजय दुग्गल ने लोकल 18 से कहा कि कला केंद्र की स्थापना साल 1949 में डॉ द्विजेन्द्र सेन ने की थी. उन्होंने बताया कि वह पहले शांति निकेतन में रहते थे और इसके बाद देहरादून आकर उन्होंने कला की दुनिया में कुछ नया करने के लिए कला केंद्र की शुरुआत की. वह कला की कई विधाओं को लोगों को सिखाने लगे थे और उन्होंने अपने जीवन को कला में ही लगा दिया था. साल 2002 में उनका निधन हो गया था.
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 23:25 IST