देहरादून में नन्हे-मुन्नों की लाइब्रेरी, किताबों के साथ मिनी न्यूजपेपर्स भी


देहरादून. आजकल बच्चे मोबाइल फोन और टीवी, वीडियो गेम्स आदि में ही बिजी रहते हैं. अभिभावकों को भी मोबाइल देकर उन्हें एक जगह शांत बैठाना आसान काम लगता है. वहीं दूसरी ओर जब मोबाइल वगैरह नहीं हुआ करते थे, तब बच्चे किताबें और कॉमिक्स के प्रति रुचि रखते थे लेकिन आज ये खत्म होने को है. बच्चों में रीडिंग हैबिट को पैदा करने के लिए देहरादून के लैंसडाउन चौक स्थित दून मॉडर्न लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर में बाल पुस्तकालय बनाया गया है. यहां 7 साल से 15 साल के बच्चों के लिए कई तरह की किताबें, कॉमिक्स, नॉवेल्स और मिनी न्यूजपेपर्स उपलब्ध हैं. यहां आप अपने बच्चों को लाकर उनमें पढ़ने की आदत को जिंदा रख सकते हैं.

दून मॉडर्न लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि अक्सर पुस्तकालय में लोग आकर बच्चों के लिए पढ़ने का स्थान ढूंढते थे, तो इस पर विचार किया गया कि बच्चों के लिए भी एक लाइब्रेरी बनाई जाए और फिर बाल पुस्तकालय बनाया गया ताकि बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित हो सके. उन्होंने बताया कि दून मॉडर्न लाइब्रेरी में बाल अनुभाग की शुरुआत इसी महीने हुई है. छोटे बच्चों के लिए अनुभाग कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें एनीमेशन फिल्में और डॉक्यूमेंट्री आदि दिखाई जाएंगी. वहीं चित्रकला, प्रतियोगिता लेखनी प्रतियोगिता और प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी ताकि बच्चे क्रिएटिव बन सकें.

सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए फ्री
चिल्ड्रन सेक्शन की केयर टेकर इंचार्ज मेघा ने लोकल 18 को बताया कि बाल पुस्तकालय में बच्चों के साहित्य का व्यापक संग्रह किया जा रहा है. अभी यहां 1000 के करीब हिंदी, अंग्रेजी के अलावा गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली-भाषा में प्रकाशित बाल साहित्य का संग्रह है. इसके साथ ही यह भी कोशिश की जा रही है कि बच्चों को किताबों से प्रेम करने के साथ-साथ कहानी सुनाने, फिल्म दिखाने और विविध रचनात्मक गतिविधियों से सीखने की प्रक्रिया को निरंतर बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने बताया कि पुस्तकालय में बाल सदस्ता के लिए 500 रुपये की आधार सुरक्षा जमा राशि के साथ मात्र 100 रुपये की वार्षिक सदस्यता निर्धारित है जबकि सरकारी स्कूलों और एनजीओ के बच्चों के लिए यहां निःशुल्क सेवा है. सिर्फ 10 रुपये में उन्हें रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. यह बाल पुस्तकालय सप्ताह में शुक्रवार और शनिवार के दिन खुला रहता है.

घर में भी रखनी चाहिए किताबें
बाल पुस्तकालय की सराहना करते हुए लेखक सुनील भट्ट ने लोकल 18 से कहा कि यह एक अच्छा स्थान है, जहां हर अभिभावक को अपने बच्चों को लाना चाहिए क्योंकि रंग-बिरंगे चित्रों के साथ खूबसूरत लेखनी वाली इन किताबों के संसार में बच्चे क्या बड़े भी इन किताबों को पढ़ने पर मजबूर हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि हमें अपने घर में भी किताबें रखनी चाहिए ताकि बच्चे को पढ़ने की आदत पड़ जाए.

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