देहरादून . देहरादून को भारत का प्रमुख एजुकेशन हब माना जाता है, जहां कई जाने-माने स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं. इसी कड़ी में डीएवी पीजी कॉलेज का नाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो ब्रिटिश युग में स्थापित हुआ था और तब से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बनाए हुए है. इस कॉलेज के एलुमनी लिस्ट में 2 देशों के प्रधानमंत्री, सेना के बड़े अधिकारी और एवरेस्ट फतह करने वाली बछेंद्री पाल जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं, जो इस संस्थान के गौरवशाली इतिहास को समृद्ध बनाते हैं.

डीएवी पीजी कॉलेज का प्रभाव भारत ही नहीं, बल्कि अन्य देशों तक फैला है. यहां से मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद जैसे महान नेताओं ने शिक्षा प्राप्त की है. भारत से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा, भारत सरकार के पूर्व मंत्री महावीर त्यागी और ब्रह्मदत्त, भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल बीसी जोशी, पहली महिला एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. फारुख शेख जैसे सम्मानित लोग इस संस्थान के छात्र रह चुके हैं.

कई राजनेता भी रहे हैं छात्र
लोकल18 से बातचीत के दौरान वर्तमान में कांग्रेस नेता और पूर्व डीएवी कॉलेज छात्र डॉ. जसविंदर सिंह गोगी ने बताया कि उत्तराखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कैंट विधायक हरबंस कपूर 1967 में डीएवी कॉलेज के छात्रसंघ महासचिव रहे. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक हीरा सिंह बिष्ट वर्ष 1974 से 1977 तक लगातार तीन बार छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना वर्ष 1988 में डीएवी अध्यक्ष रहे. भाजपा नेता रविंद्र जुगरान 1992 में डीएवी कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे थे. ऐसे कई बड़े नाम हैं जो यहां से निकले हैं. उन्होंने कहा कि मेरे राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी यहां से हुई थी.

डीएवी पीजी कॉलेज की स्थापना
दयानंद एंग्लो वैदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जिसे हम डीएवी पीजी कॉलेज के नाम से जानते हैं, उसकी नींव 1886 में लाहौर (अब पाकिस्तान) में महात्मा हंसराज के निर्देशन में रखी गई थी. 1892 में इसे मेरठ में एक रात्रिकालीन संस्कृत पाठशाला के रूप में स्थापित किया गया. 1904 में देहरादून के ठाकुर पूरन सिंह नेगी ने संस्थान के लिए जमीन दान की, जिससे इसका स्थानांतरण मेरठ से देहरादून में हुआ. 1922 में इसे इंटरमीडिएट कॉलेज और 1946 में डिग्री कॉलेज का दर्जा मिला, जो 1948 में डीएवी महाविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ.

डीएवी पीजी कॉलेज का अटूट आकर्षण बरकरार
प्रोफेशनल कोर्सेस की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद डीएवी पीजी कॉलेज आज भी छात्रों में बेहद लोकप्रिय है. उत्तराखंड और पश्चिम उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में छात्र यहां दाखिला लेने के लिए आते हैं. वर्तमान में 12,500 से अधिक छात्र यहां विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं. दशकों से इस कॉलेज का आकर्षण बरकरार है, जो इसे शिक्षा का एक प्रतिष्ठित संस्थान बनाए हुए है.

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