नैनीताल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने बनाया कीर्तिमान, बन गए डॉक्टर साहब


नैनीताल: कहते हैं मेहनत और जुनून सफलता को कदमों में ले आते हैं. यह बात साबित कर दिखाई है उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शिवराज सिंह कपकोटी ने, जिन्होंने अपनी नौकरी के साथ ही कड़ी मेहनत से पढ़ाई कर पीएचडी की डिग्री हासिल की और अब वह डॉक्टर बन गए हैं. उनकी इस उपलब्धि पर विभाग ने हर्ष व्यक्त किया है. विभाग का दावा है कि विश्वविद्यालय में यह पहला मामला है कि किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की हो. वहीं, लोग इसे उत्तराखंड का भी पहला मामला बता रहे हैं.

शिवराज सिंह ने बताया कि उन्होंने यूजीसी रेगुलेशन 2009-2010 के तहत पीएचडी प्रवेश परीक्षा पास कर “पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल का सांस्कृतिक अवदान: एक ऐतिहासिक मूल्यांकन” विषय पर अपना शोध कार्य संपन्न किया. उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अपना शोध प्रबंध प्रो. सावित्री कैड़ा जंतवाल के निर्देशन में पूरा किया.

नैनीताल निवासी शिवराज सिंह कपकोटी पिछले 20 वर्षों से नैनीताल के डीएसबी परिसर के इतिहास विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (संविदा) के रूप में कार्यरत हैं. शिवराज इससे पहले कैंपस के इतिहास विभाग के अंतर्गत हिमालय म्यूजियम में भी 6 साल तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं. विभाग में काम करते हुए ही उन्हें पीएचडी करने की प्रेरणा मिली. शिवराज ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता, प्रो. अजय रावत, पद्मश्री प्रो. शेखर पाठक, कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत, प्रो. गिरधर सिंह नेगी और डॉ. भुवन चंद्र शर्मा को दिया है.

शिक्षकों ने दिया साथ
शिवराज लोकल 18 को बताते हैं कि उन्होंने 1 अप्रैल 2005 में डीएसबी कैंपस में चतुर्थ श्रेणी (संविदा) के पद पर अपनी नौकरी की शुरुआत की थी. उस समय उनकी उम्र मात्र 20 साल थी और उन्होंने सिर्फ बारहवीं तक की पढ़ाई की थी. जब उन्होंने अपनी नौकरी की शुरुआत की, तब इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अजय रावत थे. साथ ही, डिपार्टमेंट में प्रो. शेखर पाठक भी कार्यरत थे. उन्होंने बताया कि देश-दुनिया में इतिहास के क्षेत्र में अपना नाम कमाने वाली इतनी बड़ी हस्तियों के बीच काम करके उन्हें कुछ करने की प्रेरणा मिली.

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उन्होंने यह भी बताया कि वह विभाग के हिमालय संग्रहालय में भी कार्यरत थे, जहां हिमालय संग्रहालय के प्रो. भुवन चंद्र शर्मा ने उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने की प्रेरणा दी और उनका बीए में एडमिशन करवाया. उन्होंने विभाग में कार्यरत रहते हुए बीए की पढ़ाई पूरी की और फिर इतिहास विषय से एमए किया. इसके बाद, उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और अपनी पीएचडी पूरी की. आज, डॉक्टर शिवराज सिंह कपकोटी डीएसबी कॉलेज के पहले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं जिन्होंने इस उपलब्धि को हासिल किया है.

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