कोटा। मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तहत कक्षा 1 से 8वीं तक बच्चों को मिलने वाला मिल्क पाउडर दूध बंद हो गया है। कोटा जिले के अधिकतर स्कूलों में दूध का स्टॉक खत्म हो चुका गया है और जहां बचा है वहां भी समाप्त होने के कगार पर है। आखिरी बार मार्च 2024 में स्कूलों को दूध की सप्लाई हुई थी। इसके बाद से शिक्षा विभाग द्वारा दूध की आपूर्ति नहीं की गई। वहीं, शिक्षा मंत्री द्वारा दूध की जगह मोटे अनाज दिए जाने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि बच्चों को कब से मिलेट्स दिए जाएंगे। ऐसे में विद्यार्थियों को न तो दूध मिल रहा और न ही मोटा अनाज। लेकिन, 3 माह से पोषण बच्चों की पहुंच से दूर हो गया।
मई में मिला था 27175 किलो मिल्क पाउडर
कोटा जिले में कुल 1152 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें संस्कृत व मदरसे भी शामिल हैं। इन विद्यालयों में शिक्षा विभाग द्वारा गत 3 मार्च को आखिरी बार 27 हजार 175 किलो मिल्क पाउडर आवंटित किया गया था। यह पाउडर तीन महीने 15 मई तक के लिए दिया गया था। इसके बाद से अब तक दूध की सप्लाई नहीं की गई। ऐसे में अधिकतर स्कूलों में मिल्क पाउडर खत्म हो चुका है। जबकि, शिक्षा विभाग ने दो माह पहले ही स्कूलों में दूध का स्टॉक खत्म होने की जानकारी निदेशालय को दे चुका है। लेकिन, अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका।
पिछली सरकार ने पूरे सत्र के लिए की थी आपूर्ति
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछली कांगे्रस सरकार के समय शिक्षा सत्र 2023-24 में सरकारी स्कूलों में एक साथ पूरे सत्र की जरूरत के हिसाब से मिल्क पाउडर की आपूर्ति की गई थी। इधर, वर्तमान सरकार सरकार की ओर से सरकारी स्कूली विद्यार्थियों को मोटा अनाज देने का ऐलान हुआ है, लेकिन अब सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को न दूध मिल रहा है और न ही मोटा अनाज। उधर, शिक्षा मंत्री द्वारा दूध की जगह मोटे अनाज दिए जाने के संकेत दिए हैं। एक्सपर्ट की निगरानी में इस पर विचार किया जा रहा है। हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं।
भाजपा ने सप्ताह में 2 दिन, कांग्रेस ने 6 दिन पिलाया दूध
शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश में भाजपा सरकार के शासनकाल 2013-18 के दौरान विद्यार्थियों को सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को गाय का ताजा दूध गर्म कर पिलाया जाता था। इसके बाद कांग्रेस सरकार के शासनकाल में 29 नवंबर 2022 को योजना का नाम बदल कर मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना किया गया। साथ ही रविवार के अवकाश को छोड़ कर शेष छह दिन मिल्क पाउडर से तैयार दूध पिलाना शुरू किया गया।
अभिभावक बोले- दूध या मिलेट्स, जल्द हो निर्णय
छावनी निवासी प्रेमशंकर कहार, दुर्गाप्रसाद मीणा, हनुमान सिंह का कहना है कि शहर के सरकारी स्कूलों में बच्चों को प्रार्थना के समय मिलने वाला दूध अब नहीं मिल रहा है। शिक्षकों से पूछने पर पता चला कि मिल्क पाउडर का स्टॉक खत्म हो गया है, अब इसकी जगह सरकार मोटा अनाज देगी। लेकिन, कब से मिलेट्स मिलेंगे, इसके बारे में जानकारी नहीं दे पा रहे। बच्चों को करीब पिछले 3 माह से न तो दूध मिल रहा और न ही मोटा अनाज। ऐसे में सरकार को मिलेट्स व दूध पर जल्द निर्णय करना चाहिए।
क्या कहते हैं शिक्षक संगठन
सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ोतरी के लिए सरकारी सुविधाओं का शिक्षक घर-घर जाकर प्रचार प्रसार करते हैं। नए सत्र से प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में दूध की सप्लाई नहीं हो रही है, यहां मध्यम व गरीब परिवार के बच्चे पढ़ने आते हैं। ऐसे में 3 माह से दूध नहीं मिलना बच्चों के साथ अन्याय है। सरकार पोषण के लिए जो भी दें, जल्दी निर्णय करें ताकि बच्चों को आवश्यक पोषण मिल सके।
– उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)
विद्यार्थियों को पाउडर का दूध पसंद नहीं आ रहा है। इसलिए इसे पीने में रुची नहीं दिखाते। हमने सरकार को दूध की जगह बच्चों को ड्राइफ्रूड या मिलेट्स दिए जाने का सुझाव दिया था। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने मिलेट्स दिए जाने के संकेत दिए थे, इससे बच्चों को अधिक पोषण मिल सकेगा। सरकार जल्द ही इसके बारे में स्थिति स्पष्ट करेगी।
– देवकीनंदन सुमन, प्रदेश सचिव, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान शिक्षक संघ राष्टÑीय
रिकॉर्ड के अनुसार, सरकारी स्कूलों में दूध का स्टॉक खत्म हो चुका है। ऐसे में विद्यार्थियों को दूध नहीं मिल रहा है। वहीं, शिक्षा मंत्री द्वारा दूध के विकल्प के रूप में मोटे अनाज दिए जाने की घोषणा की गई थी, जिस पर भी अभी तक कोई निर्णय नहीं किया गया। ऐसे में बच्चों को न तो दूध मिल रहा और न ही मोटा अनाज। यह उनके साथ अन्याय है। सरकार को जल्द ही इस पर निर्णय करना चाहिए।
– महावीर मीणा, प्रदेश सह संयोजक, संघर्ष समिति राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
इनका कहना
अधिकतर स्कूलों में मिल्क पाउडर खत्म हो चुका है, शेष रहे विद्यालयों में भी समाप्त होने के कगार पर है। सीबीईओ के माध्यम से सभी स्कूलों से डेटा मंगवाया है, इसके बाद ही कितने स्कूलों में दूध पाउडर खत्म हुआ है, उसकी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। दूध या मोटे अनाज के बारे में निर्णय सरकार के स्तर पर होगा।
– यतीश विजय, पूर्व जिलाशिक्षाधिकरी प्रारंभिक
मैंने आज ही डीईओ प्रारंभिक का कार्यभार ग्रहण किया है। इस संदर्भ में जानकारी प्राप्त की जा रही है। दूध या मिलेट्स के संबंध में सरकार से जो भी दिशा-निर्देश प्राप्त होंगे,उसकी पालना की जाएगी।
– केके शर्मा, जिला शिक्षाधिकारी प्रारंभिक व माध्यमिक