पर्यटकों और फिल्ममेकर्स की पहली पसंद क्यों है देहरादून का फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, जानें इतिहास


हिना आज़मी/ देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की खूबसूरत लोकेशन की लिस्ट में शुमार फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट वैश्विक धरोहर है, जिसे ग्रीक रोमन भवन निर्माण शैली में बनाया गया था. भारतीय वन अनुसंधान संस्थान यानी एफआरआई परिसर करीब 7 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इसका डिजाइन सीजी ब्लूमफील्ड ने तैयार किया था. इस ऐतिहासिक इमारत को बनाने में 90 लाख रुपये की लागत और करीब 7 साल का वक्त लगा था. चारों ओर पहाड़ों से घिरी यह बिल्डिंग अपने मनोरम दृश्यों के चलते ही टूरिस्ट और फिल्ममेकर को यहां आने पर मजबूर कर देती है.

मुजफ्फरनगर से देहरादून घूमने आए सलमान बताते हैं कि वह देहरादून के टूरिस्ट प्लेस को एक्सप्लोर करते रहते हैं. उन्हें यह बेहद ही सुंदर इमारत लगी है, क्योंकि यहां उन्हें नेचुरल वाइब्स आती हैं और वह ऐतिहासिक चीजों को काफी पसंद करते हैं. उनका कहना है कि अगर कोई देहरादून घूमने आए, तो यहां जरूर आए. उन्होंने स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर समेत कई फिल्मों में इस इमारत को देखा था, तो वह इसे देखना चाहते थे, इसीलिए वह यहां पर आए और उन्हें फिल्म से भी ज्यादा सुंदर यह लोकेशन लगी है. वहीं अरमान का कहना है कि वह पहली बार ऐसी ऐतिहासिक इमारत को देख रहे हैं, जो इतने बड़े क्षेत्रफल में फैली है, इसलिए यहां घूमते हुए उन्हें अच्छा लग रहा है. अगर किसी को सुकून चाहिए तो यह एक बेस्ट जगह है.

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का इतिहास

अंग्रेजी हुकूमत में देश के पहले इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट डॉक्टर डाइट्रीच ब्रैंडिस थे, जिनके सुझाव पर साल 1878 में रेंजरों को ट्रेनिंग देने के लिए देहरादून में एक स्कूल खोला गया था, जो ब्रिटिश शासन के अधीन था. इस स्कूल का नाम इंपीरियल फॉरेस्ट स्कूल रखा गया था. साल 1900 तक इंपीरियल फॉरेस्ट स्कूल अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते मशहूर हो गया. साल 1896 में स्कूल में एक शोध विभाग और जोड़ दिया गया, जिसके बाद उसका नाम इंपीरियल फॉरेस्ट रिसर्च कॉलेज हो गया. वहीं पर्यावरण दिवस के दिन साल 1906 में देश के वानिकी अनुसंधान को बढ़ाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने इंपीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून की स्थापना की, जिसके मुखिया को प्रेसिडेंट कहा गया. साल 1908 तक प्रेसिडेंट ही इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट का काम करता था, बाद में इन पदों को अलग कर दिया गया था.

देश के बड़े वन अनुसंधानों में शुमार है एफआरआई

आजादी के बाद साल 1986 में देश की वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिए संगठन के रूप में भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद का गठन किया गया. इसे केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत स्वायत्त परिषद घोषित कर सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में रजिस्टर कर दिया गया. वन अनुसंधान संस्थान मौजूदा समय में भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान प्रणाली में देश की सर्वोच्च निकाय है. साल 1991 में वन अनुसंधान संस्थान को यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सिफारिशों पर डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया.

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