प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के हाल-बे-हाल शिक्षकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित

जयपुर। प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के हाल-बे-हाल होते जा रहे हैं जबकि राज्य सरकार की ओर से संस्कृत शिक्षा में सुधार के कई प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन शिक्षकों की कमी पूरी नहीं कर पा रही है और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है तथा अब जानकर 19 साल के बाद भर्ती की कवायद शुरू हुई, जिसको इस शैक्षणिक सत्र में पूरी होने की उम्मीद है। दरअसल, विश्व संस्कृत दिवस सोमवार (19 अगस्त) को मनाया जाएगा।

नए कॉलेजों में 222 पद सृजित 
संस्कृत शिक्षा विभाग में विगत 5 वर्षो में प्रदेश में 21 नवीन राजकीय संस्कृत महाविद्यालय खोले गए हैं, जिसमें विभिन्न पदों के कुल 222 पद सृजित किए गए हैं तो वर्तमान में संस्कृत शिक्षा विभाग में 51 राजकीय संस्कृत महाविद्यालय संचालित है। इन महाविद्यालयों में 8078 विद्यार्थी अध्ययनरत है। 

यह हो रही कवायद
प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों के लिए सहायक आचार्य के विभिन्न विषयों के 200 पदों पर भर्ती परीक्षा होगी। जिसके लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर द्वारा 12 जनवरी, 2024 को विज्ञापन जारी किया जा चुका है तथा 8 से 15 सितंबर 2024 तक परीक्षा तिथि निर्धारित है। वहीं, संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा संचालित प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालय में 2005 भर्ती हुई और अब 19 साल बाद यह भर्ती होगी।

ज गद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और अशैक्षणिक संवर्ग के 61 पदों पर भर्ती का इंतजार है। इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति तो मई 2023 में ही मिल चुकी है। अब वित्तीय स्वीकृति मिलने की प्रतीक्षा है। वित्तीय स्वीकृति मिलते के बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। 
-शास्त्री कोसलेंद्रदास, प्रवक्ता, 
संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर। 

सं स्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी सरकार और समाज, दोनों की है। संस्कृत भारतीय संस्कृति की वाहक है। संस्कृत भाषा में लिखे वेद, पुराण और रामायण-महाभारत समाज के लिए प्रेरक और जीवनदायक हैं। आवश्यक है कि समाज और सरकार संस्कृत के महत्त्व को समझें और संस्कृत को बढ़ाने के प्रयास करे।
-डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष, 
वेद व धर्मशास्त्र विभाग, संस्कृत विश्वविद्यालय

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