प्रबोधक कैंडर का पुनर्गठन कर अध्यापक पद में समायोजित कर  पदोन्नति का लाभ भी दिया जाए : राठौड़

जयपुर। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महा संघ महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में बुधवार को राजस्थान प्रबोधक संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन देकर प्रबोधको को अध्यापक कैडर में शामिल करने और वरिष्ठता प्रदान किए जाने की मांग की है।
 
राठौड़ ने बताया कि शिक्षा विभाग में 2008 से प्रबोधक पद पर 25000 प्रबोधक की स्थाई नियुक्ति की गई थी। राजस्थान शिक्षा अधिनियम 1971 में प्रबोधक पदनाम नहीं होने के कारण इनकी सेकेंडरी, हायर सेकेंडरी एवं महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में प्रतिनियुक्ति, ट्रान्सफर, एवम पदोन्नति आगे नहीं हो पा रही है। वर्तमान में पदोन्नत वरिष्ठ प्रबोधक पद एक झुनझुना बन गया है क्योंकि पदनाम बदल दिया गया परंतु पदोन्नति के पद का वेतनमान नहीं दिया गया है, और ये अध्यापक शिक्षा विभाग की मुख्य धारा में नहीं जुड़ पा रहे हैं, उच्च कक्षाओं को नहीं पढ़ा पा रहे है। इतना ही नहीं ये विभाग द्वारा जारी योजनाओं में हर बार पीछे रह जाते हैं, जिसका खामियाजा पिछले 15 साल से यह प्रबोधक भुगत रहे हैं जबकि इनके साथ ही नियुक्त एवम जूनियर अध्यापक आज पदोन्नति पाकर व्याख्याता, वाइस प्रिंसिपल और प्रिंसिपल तक पहुंच गए हैं लेकिन यह प्रबोधक आज भी इन सब सुविधाओं से वंचित है और इनका मानसिक और आर्थिक हो रहा है। प्रबोधकों की भर्ती 2008 में हुई थी तथा योग्यताधारी अभ्यर्थियों को ही प्रबोधकों के पद पर लगाया गया था और प्रबोधक भी तृतीय श्रेणी अध्यापकों के समान योग्यताधारी है और प्रबोधक भी अध्यापक ही है केवल नाम ही अलग है। यह पदनाम 25000 प्रबोधकों के लिए सरदर्द बना हुआ है। राजस्थान प्रबोधक संघर्ष समिति के संयोजक एवं प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चौधरी ने मांग की कि  प्रबोधक कैडर में पुनर्गठन कर अध्यापक पद में परिवर्तित एवं प्रबोधक और वरिष्ठ प्रबोधक को द्वितीय श्रेणी अध्यापक पदोन्नति में शामिल कर विषयवार पदोन्नति किया जाए तथा उनके समान वेतन दिया जाए जिससे प्रबोधक नाम से होने वाले सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सके। यह मांग नहीं मानी गई तो 25000 प्रबोधक आंदोलन के लिए जल्दी सड़क पर आ जाएंगे।

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