सूरत (गुजरात):
गुरुवार को रवीश कुमार ने प्राइम टाइम में सूरत के IIIT के नए कैंपस का हाल दिखाया. जहां के छात्रों का कहना है कि इस संस्थान को चालू हुए पांच साल हो गए, लेकिन इमारत के नाम पर अभी तक टिन शेड है, वो भी बन रहा है. वहीं प्रिंसिपल का कहना है कि छात्र जिसे टिन शेड कह रहे हैं वह आयातित इंजीनियरिंग मटीरियल है, जिसे सरकार ने मंज़ूरी दी है. खबर दिखाए जाने के बाद IIIT के स्टूडेंट बॉडी ने ट्वीट कर एनडीटीवी की तारीफ की.
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IIIT स्टूडेंट बॉडी ने कहा, “कहा जाता है कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और आज @ndtvindia ने हमें ऐसा विश्वास दिलाया. बहुत-बहुत धन्यवाद @ndtvindia @ravishndtv @सुशील_एनडीटीवी @ManishPanwala राष्ट्रीय मीडिया में हमारे मुद्दों को रखने के लिए. हमें उम्मीद है कि सरकार अब हमारी आवाज सुनेगी और आवश्यक कार्रवाई करेगी!”
It is said that Media is the fourth pillar of democracy and today @ndtvindia made us believe so. A big thanks to @ndtvindia@ravishndtv@Sushil_NDTV@ManishPanwala for putting up our issues in national media.We hope government will now listen our voice and do the needful asap! pic.twitter.com/gc0EgMQW6q
— IIIT-Surat Student Body (@IIITStudentbody) July 28, 2022
दरअसल IIIT सूरत के नए कैंपस में इन दिनों बारिश का पानी जमा है, टिन शेड बन रहा है. छात्रों से कहा गया कि इस टिन शेड के नीचे क्लास करें और जो टिन शेड में नहीं आ सकते, वो लोकल स्कूल में क्लास करें. कालेज की तरफ से मीडिया में कहा गया है इस ढांचे के भीतर का तापमान कूल होगा, इसी में कैंटीन और शौचालय वगैरह भी होंगे। अस्थायी क्लास रुम बनाए जा रहे हैं जो टिकाऊ हैं जिसे सरकार ने मंज़ूर किया है.
एक साथ इस ढांचे में पांच सौ छात्र बैठ सकते हैं, एसी भी होगा. 2017 में गुजरात विधान सभा था और उसी साल संसद में सूरत IIIT एक्ट पास हुआ था. पांच साल बाद फिर चुनाव आने जा रहा हैं लेकिन अब मुद्दा दूसरा है. सूरत IIIT को निजी क्षेत्र की भागीदारी से बनाया जाना था. पांच साल से एडमिशन हो रहा है, अभी तक दो बैच निकल भी चुका है. IIIT सूरत का सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से करार था, जिसके तहत वहां पढ़ाई हो रही थी, लेकिन इसी 31 जुलाई को करार समाप्त हो जाएगा.
छात्रों का कहना है कि पांच साल हो गए अभी तक IIIT सूरत तैयार क्यों नहीं हुआ है? यह खबर कई दिनों से छप रही है लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो छात्र ट्विटर पर कैंपेन चलाने लगे. छात्रों ने ऑडियो के ज़रिए अपनी व्यथा भेजी.