प्रिंस का 'कपकेक' बना सबका फेवरेट, 21 दिन की शेल्फ लाइफ ने जीता बाजार


देहरादून. ‘बड़ा बनने के लिए उम्र नहीं, हिम्मत चाहिए’, यह कहावत देहरादून के युवा उद्यमी प्रिंस मंडल ने साकार कर दिखाई है. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता में पढ़ाई करने वाले प्रिंस ने अपनी छोटी सी उम्र में एक बड़ी सोच के साथ कदम बढ़ाया और कपकेक बनाने का बिजनेस शुरू किया. अपनी मेहनत, जुनून और सृजनात्मकता के दम पर उन्होंने न केवल अपने बिजनेस को स्थापित किया बल्कि राज्य में एक मिसाल कायम की है. लोकल 18 से बातचीत में प्रिंस ने अपने संघर्ष, विचारों और हौसलों की कहानी साझा की, जो आने वाली पीढ़ी को भी राह दिखाएगी.

कपकेक के आइडिया पर प्रिंस मंडल ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि पहले से मेरे मन में इस तरह के विचार आते थे लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि इसे धरातल पर कैसे उतारा जाए. जब वह देवभूमि उद्यमिता योजना से जुड़े, तो इस समस्या का भी समाधान हो गया. सबसे खास बात है कि शिक्षकों ने उनके इस आइडिया को समझा और शिद्दत से इसे जमीन पर उतारने में सहयोग किया.

प्रोडक्ट की शेल्फ लाइफ 21 दिन
अपने बनाए गए कपकेक आमतौर पर बाजार में मिलने वाले कपकेक से कैसे अलग है, इस पर बातचीत करते हुए प्रिंस मंडल बताते हैं कि वर्तमान समय में बाजार में मिलने वाले कपकेक की शेल्फ लाइम महज तीन दिन होती है. हमने इसी चीज को समझा और इस पर काम किया. हमारे प्रोडक्ट की शेल्फ लाइफ 21 दिन है. अभी भी हम इस पर काम कर रहे हैं. उम्मीद है कि हम इसे 21 दिनों से बढ़ाकर तीन माह तक कर देंगे ताकि सिर्फ उत्तराखंड तक ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों तक इसे पहुंचा सकें.

B2B मॉडल पर आधारित है आइडिया
प्रिंस बताते हैं कि हम सीधा कस्टमर को नहीं बेचते हैं बल्कि बिजनेस-टू-बिजनेस बेचते हैं, यानी सीधा दुकानदार से संपर्क करते हैं. मौजूदा समय में मसूरी के कई दुकानों में हमारे इस प्रोडक्ट की मांग है, जिसे हम पूरा कर रहे हैं. स्थानीय दुकानदारों ने हमें बहुत सहयोग किया, जिसकी बदौलत हम इस काम को बखूबी पूरा कर रहे हैं. गौरतलब है कि प्रिंस की कड़ी मेहनत और असाधारण उद्यमिता को पहचानते हुए उत्तराखंड सरकार ने उनके बिजनेस को सीड फंड (एकमुश्त 75 हजार रुपये) देने की घोषणा की है. इस मदद से वह अपने छोटे से कारोबार को और बड़े स्तर पर ले जाने का सपना देख रहे हैं.

आंत्रप्रेन्योर इको सिस्टम ने साकार किया सपना
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता स्थित देवभूमि उद्यमिता केंद्र की नोडल अधिकारी प्रोफेसर डॉ पूजा कुकरेती ने लोकल 18 से कहा कि उत्तराखंड शिक्षा विभाग और भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान के सहयोग से कॉलेज में एक आंत्रप्रेन्योर इको सिस्टम तैयार हुआ. इस कार्यक्रम में कई छात्रों ने प्रतिभाग किया, जिसमें उन्होंने अपने कई बिजनेस मॉडल आइडिया को साझा किया. इस दौरान प्रतिभागी छात्रों ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की. इसी को आगे बढ़ाते हुए प्रिंस मंडल ने इस प्रोडक्ट को लॉन्च किया.

क्या है देवभूमि उद्यमिता योजना?
उत्तराखंड सरकार और भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान ने मिलकर राज्य के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया है, जिसके लिए प्रदेशभर में 124 केंद्र खोले गए हैं, जिनमें से 10 उत्कृष्ट केंद्र हैं. पंजीकृत युवाओं को बूथ कैंप के जरिए बिजनेस की बारीकियों के गुर सिखाए जा रहे हैं. इसके लिए 185 फैकल्टी मेंटर प्रशिक्षित किए गए हैं.

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