भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनहमोन सिंह हमारे बीच नहीं रहे. जो पूरे देश के लिए तो बड़ा नुकसान है ही.. साथ ही देवभूमि उत्तराखंड के लिए भी बेहद परेशान करने वाला पल है. हम लोग डॉक्टर मनमोहन सिंह का नाता पंजाब से जोड़ लेते हैं, लेकिन असल में उनका उत्तराखंड से भी बेहद गहरा नता रहा. अपनी जिंदगी की शुरुआती संघर्ष वाले दिन डॉक्टर मनमोहन सिंह ने हल्द्वानी में ही गुज़ारे.
मनमोहन सिंह का यहां से खास नाता रहा. देश के विभाजन की आशंका देख डॉ. मनमोहन सिंह के पिता अपने परिवार को लेकर उत्तर प्रदेश (अब का उत्तराखंड) के हल्द्वानी कस्बे में चले आए… क्योंकि यहां व्यापार के चलते उनके कुछ लोगों से संबंध थे. उन्हें उम्मीद थी कि मुश्किल भरे इस दौर में उनके परिवार को रहने के लिए एक अस्थाई जगह मिल जाएगी. हुआ भी ऐसा ही.
अमृतसर में मौजूद द पार्टिशन म्यूजियम (भारत-पाकिस्तान विभाजन की याद में बना म्यूजियम) की संस्थापक मल्लिका आहलूवालिया ने अपनी किताब ‘डिवाइडेड बाय पार्टीशन यूनाइटेट साइलेंस’ इन सब बातों को जिक्र किया है. इसमें हल्द्वानी का भी जिक्र है. डॉ. मनमोहन सिंह अपने माता-पिता संग ट्रेन में सवार होकर लाहौर, अमृतसर, सहारनपुर, बरेली होते हुए काठगोदाम तक पहुंचे. किताब में स्व. मनमोहन सिंह के हवाले से लिखा गया है कि बच्चों को सुरक्षित ठिकाना हल्द्वानी बनाकर उनके पिता सरदार गुरमुख सिंह वापस काम के सिलसिले में पेशावर चले गए, लेकिन इसी बीच विभाजन के दंगे छिड़ गए. इस समय डॉक्टर मनमोहन सिंह की उम्र 14 साल थी.
डॉ. सिंह ने किताब की लेखिका को बताया कि ये साल 1948 से 1949 के बीच की बात थी. जब जबरदस्त दंगे छिड़ चुके थे. ऐसे में उन्हें अपने पिता की बेहद चिंता थी. डॉ. सिंह अपने पिता के इंतजार में घंटों काठगोदाम स्टेशन पर बैठे रहते थे. वह हर ट्रेन में अपने पिता के आने का इंतजार करते थे. आखिरकार एक दिन उनके पिता लौट आए. इस समय सिंह हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज में छठी क्लास के स्टूडेंट थे. जिसके प्रमाणस्वरूप आज भी एक टीसी स्कूल में मौजूद है.
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एमबी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डीके पंत इस बात की पुष्टि करते हैं कि डॉ. मनमोहन सिंह का परिवार तब भोटिया पड़ाव इलाके में रहता था. उन्होंने साल 1948 से 1949 तक एमबी स्कूल में पढ़ाई की. पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े इस दस्तावेज को आज भी इस स्कूल ने संभालकर रखा है. साल 1949 के बाद व्यवसाय की अच्छी संभावनाओं को देखते हुए डॉ. मनमोहन सिंह के पिता अपने परिवार को लेकर अमृतसर चले गए. हालांकि उनके कुछ रिश्तेदार आज भी हल्द्वानी में रहते हैं. अमृतसर में रहते हुए ही उन्होंने फिर आगे की पढ़ाई और भारत के प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 15:59 IST