नई दिल्ली :
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर सीबीएसई (CBSE) की तरफ से देश भर के स्कूलों में कराये जाने वाले नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NSA) को स्थगित करने का आग्रह किया है. ये सर्वे शुक्रवार 12 नवंबर को होने जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस सर्वे का उद्देश्य कोरोना के दौरान बच्चों का सीखने का स्तर (learning level) जानने के लिये किया जा रहा है. सिसोदिया का कहना है इस समय एक दिन में इतने बड़े सर्वे का आयोजन करवाना किस हद तक वाजिब होगा, जबकि देश के ज़्यादातर राज्यों में कुछ दिनों पहले ही स्कूल खुले हैं और लंबे समय बाद बच्चे स्कूलों में लौटे हैं.
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दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र में लिखा है कि सर्वेक्षण में एकत्र किया गया डेटा “विश्वसनीय” नहीं होगा क्योंकि कोविड (COVID-19) के कारण लंबे समय तक बंद रहने के बाद स्कूल पूरी तरह से नहीं खुले हैं, और यह अभ्यास समय की “अपव्यय” होगी.
उन्होने लिखा कि “डेढ़ साल के बाद छात्र धीरे-धीरे स्कूलों में आने लगे हैं. मेरा मानना है कि इस समय हमें छात्रों के सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए. बड़ी संख्या में छात्र स्कूल नहीं लौटे हैं, एक प्रयास होना चाहिए”.
सिसोदिया ने शिक्षा मंत्री से अनुरोध करते हुए कहा – “स्कूल आधे खुले होने पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर नीति बनाने के बजाय उन्हें वापस लाने के लिए, मैं आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि सर्वेक्षण को अभी के लिए रोक दिया जाना चाहिए और बाद में ऐसे समय में आयोजित किया जाना चाहिए जब स्थिति सामान्य हो जाए. “
उन्होने कहा “सर्वेक्षण का उद्देश्य तभी पूरा होगा और डेटा विश्वसनीय होगा. इन विषम परिस्थितियों में इस सर्वे का आयोजन करवाना समय व पैसे की बर्बादी होगी और इसके आधार पर अगर शिक्षकों और बच्चों के लिए गलत नीति बन गई तो उसके परिणाम और भी घातक होंगे.”
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सिसोदिया ने पत्र मे ये भी लिखा कि “दिल्ली में हमने आठवीं तक के स्कूल 1 नवंबर से ही खोले हैं बच्चे लगभग 19 महीने बाद स्कूल आ रहे हैं. साथ ही स्कूलों में अभी मात्र 50 फीसदी विद्यार्थियों को ही बुलाया जा रहा है और कई प्राइवेट स्कूलों में तो अभी तक प्राइमरी कक्षा शुरू भी नहीं की गई है.
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार इस सर्वे का आयोजन देश के सभी 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 733 जिलों में होगा, जिसमें 1.29 लाख स्कूलों में तीसरी, पांचवी, आठवीं और दसवीं कक्षा के 39 लाख बच्चे शामिल होंगे.
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