मिलिए देश की पहली मुस्लिम योग टीचर राफ़िया से, लाख विरोध के बावजूद योग से करती हैं प्रेम

योग हमें निरोग रखता है. यह भारत की पहचान है, जो पूरी दुनिया के लिए वरदान है. 21 जून को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. कोरोना काल में हमें योग की महत्ता के बारे में हमें पता चला. यूं तो देश-विदेश में कई योग गुरु मौजूद हैं, जो योग के ज़रिए लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत कर रहे हैं. मगर, झारखंड के रांची की रहने वाली राफ़िया नाज़ की कहानी सबसे अलग है. इनकी कहानी जानने के बाद आप भी इनपर नाज़ करेंगे. राफ़िया, आज योग के ज़रिए देश के बच्चों और युवाओं को एक बेहतरीन इंसान बना रही हैं. आज योग में इतना रम गई हैं कि इन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. हालांकि, ये सब इतना आसान नहीं था, इसके लिए ये कट्टरपंथियों के निशाने पर कई बार आईं भी, मगर बगैर परवाह किए हुए राफ़िया लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला रही हैं.

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4 साल की उम्र में योग से प्रेम हुआ

एनडीटीवी से बात करते हुए राफ़िया नाज़ बताती हैं कि जब वो 4 साल की थीं, तभी उन्हें योग से प्रेम हो गया था. स्कूल में योग सिखाया जा रहा था, ऐसे में इन्होंने अपने पिता से योग सीखने की इच्छा जताई, जिसे सहर्ष स्वीकार कर लिया गया. राफ़िया ने बताया कि योग सीखने के लिए माता और पिता ने हमेशा प्रोत्साहित किया. आज इनके कारण ही मैं योग की शिक्षा ले पाई हूं.

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योग के रास्ते में धर्म आया

योग सीखना कई कट्टरपंथियों को रास नहीं आया. मुस्लिम होने के कारण कई बार उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा. राफ़िया बताती हैं कि ये सब मेरे लिए आसान नहीं था. हमेशा धमकी मिलती रही, मगर मैं अल्लाह के भरोसे अपने लक्ष्य की ओर चलती रही. मेरी फैमिली ने मेरा हमेशा सपोर्ट किया. योग के कारण मुझे इनसे निपटने की शक्ति मिली.

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ज़िंदगी को बेहतरीन बनाता है योग

राफ़िया बताती हैं कि योग के ज़रिए हम अपनी ज़िदगी को बेहतरीन बना सकते हैं. योग हमें पॉजीटिव रखता है. इससे हम अपने मन के विकारों को ख़त्म कर सकते हैं.

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कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं राफ़िया

राफ़िया पिछले 14 साल से योग सीख रही हैं और सीखा रही हैं. इस कारण उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है. 

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बच्चों की ज़िंदगी बेहतरीन करती हैं

राफ़िया बताती हैं कि योग के ज़रिए मैं बच्चों की ज़िंदगी को बेहतरीन बना रही हूं. अपनी संस्था Yoga Beyond Religion की मदद से बच्चों को योग सीखा रही हूं, उन्हें भटकने से बचा रही हूं. आगे चल कर यही बच्चे बेहतरीन प्रशिक्षक बनेंगे.

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2100 बच्चे ऑनलाइन योग सीखते हैं

राफिया बताती हैं कि कोरोना काल में बच्चों ने ऑनलाइन योग क्लास के लिए निवेदन किया था, जिसे मैंने मान लिया. वर्तमान में 2100 बच्चे ऑनलाइन योग सीखते हैं.

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राफ़िया कहती हैं कि योग धर्म से ऊपर है. ये ज़िंदगी का पद्धति है. ये न हिन्दू है और ना ही मुसलमान, योग सिर्फ योग है. आज मेरे साथ कई मुस्लिम बच्चे योग सीखते हैं. मेरी कोशिश रहती है कि लोग योग की अच्छाइयों को समझें. 

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