सोनिया मिश्रा/रुद्रप्रयाग : पहाड़ों में निसंदेह प्रतिभा की कमी नहीं है. इस रिपोर्ट में आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स से रूबरू करवाने वाले हैं,जो प्रसिद्ध रंगकर्मी और शिक्षाविद होने के साथ ही समाजसेवी और लोक संस्कृति के ध्वजवाहक भी हैं.यह शख्स हैं रूद्रप्रयाग की केदार घाटी के शिक्षाविद और प्रसिद्ध रंगकर्मी लखपत सिंह राणा जो अंग्रेजी माध्यम का ‘डॉ. जैक्सवीन नेशनल स्कूल’ नाम स्कूल चलाते हैं. अपने स्कूल में उन्होंने एक म्यूजियम भी बनाया है, जहां उत्तराखंड के पहाड़ी वाद्य यंत्र व पहाड़ी हस्तशिल्प से जुड़े सभी साजो-सामान मौजूद हैं. यहां आपको पहाड़ से संबंधित तमाम सामग्रियां देखने को मिल जाएंगी.
विद्यार्थी जीवन से ही लखपत सिंह राणा का संस्कृति और रंगमंच से गहरा लगाव रहा है. रामलीला से लेकर दशहरा, पांडव नृत्य, बगड्वाल नृत्य, नंदा की कथा, सुमाड़ी कू पंथ्या दादा, चक्रव्यूह, कमलव्यूह, गरुड़ व्यूह, नंदा राज जात आदि मंचीय अनुष्ठानों में वह स्वयं हिस्सा लेते थे और ऐसे आयोजनों में आज भी शामिल होते हैं. साथ ही वह अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं को भी इन सभी कार्यक्रमों में प्रतिभाग करवा रहे हैं. लखपत सिंह बच्चों को पहाड़ों की संस्कृति और लोक कला के बारे में भी बताते हैं, ताकि वे अपनी जमीन से हमेशा जुड़े रहें.
पलायन के खिलाफ जंग जारी
इसके अलावा लखपत सिंह राणा ने समाज सेवा का बीड़ा भी उठाया हुआ है, जिसमें गरीब कन्याओं की शादी में सहयोग करना, स्वच्छ भारत अभियान, पोलियो उन्मूलन, वृक्षारोपण, बालिका शिक्षा आदि पर लगातार वह काम कर रहे हैं. आज वह हजारों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं कि कैसे पहाड़ में रहकर भी पलायन के खिलाफ लड़ा जा सकता है. वह लोगों को अक्सर बताते हैं कि पहाड़ में रहकर भी शिक्षा, लोकसंस्कृति और रंगमंच की दुनिया में एक नई ऊंचाई हासिल की जा सकती है.
जनसेवा के लिए कई पुरस्कारों से किया गया है सम्मानित
लखपत सिंह राणा को सोसाइटी फॉर हेरिटेज एजुकेशन, कुरुक्षेत्र हरियाणा द्वारा धरोहर संरक्षण सम्मान दिया गया है. उनको प्रतिष्ठित चंद्रदीप्ति सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. इससे पहले भी उन्हें संस्कृति, सामाजिक कार्य, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, जन जागरूकता के लिए दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें प्रतिष्ठित मंदाकिनी सम्मान सहित अन्य सम्मान भी शामिल हैं. उन्होंने 13 हजार फीट की ऊंचाई पर हिमालय की गोद में बसे मनणा बुग्याल में स्थित महिषमर्दिनी मंदिर के लिए भी विशाल यात्रा आयोजित करने का प्रयास किया है.और समय समय पर वह सामाजिक गतिविधियों में अवश्य शामिल होते रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 28, 2023, 16:29 IST