बीजिंग। चीनी वैज्ञानिक अगली पीढ़ी की परमाणु पनडुब्बियों के लिए लेजर प्रपल्शन विकसित कर रहे हैं। इससे चीनी पनडुब्बियां समुद्र में बिलकुल शांत हो जाएंगी। ऐसे में चीनी पनडुब्बियों की खोज करना मुश्किल हो जाएगा। चीनी वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने लेजर प्रोपेलर की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करने का एक तरीका ढूंढ लिया है जो एक दिन पानी के नीचे के जहाजों को चला सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि नई तकनीक पनडुब्बी के ऑप्टिकल फाइबर की कोटिंग के माध्यम से उत्सर्जित 2 मेगावाट लेजर शक्ति का उपयोग करके लगभग 70,000 न्यूटन का जोर पैदा कर सकती है। यह लगभग किसी कॉमर्शियल जेट इंजन की शक्ति के बराबर है। यह एक ऐसी दक्षता है, जिसे पहले असंभव माना जाता था।
पनडुब्बी के सतह पर बुलबुला बनाएगा चीन
लेजर पल्स न केवल फोर्स उत्पन्न करते हैं बल्कि समुद्री जल को वाष्पीकृत भी करते हैं, जिससे पनडुब्बी की पूरी सतह पर बुलबुले बनते हैं। इसे सुपरकैविटेशन के रूप में जाना जाता है जो पानी के प्रतिरोध को काफी कम कर सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार सैद्धांतिक रूप से, यह डवलपमेंट एक पनडुब्बी को यांत्रिक शोर कंपन उत्पन्न किए बिना ध्वनि की गति से भी तेज यात्रा करने की अनुमति दे सकता है। इससे पनडुब्बी के स्थान का पता नहीं चलेगा। उन्होंने कहा, यह साइंस फिक्शन जैसी तकनीक-जिसे अंडरवाटर फाइबर लेजर-प्रेरित प्लाज्मा डेटोनेशन वेव प्रोपल्शन कहा जाता है-पनडुब्बियों के लिए स्टील्थ प्रोपल्शन जैसे क्षेत्रों में व्यापक अनुप्रयोग संभावनाएं हो सकती है।
हार्बिन इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की टीम बना रही तकनीक
इस परियोजना टीम का नेतृत्व हेइलोंगजियांग प्रांत में हार्बिन इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर जीई यांग द्वारा किया जाता है। इस जगह पर चीन की पहली पनडुब्बी विकसित की गई थी। हाल के वर्षों में पीएलए नौसेना के हथियारों और उपकरणों की तकनीकी प्रगति में छलांग का पूर्वोत्तर चीन के भारी औद्योगिक विनिर्माण केंद्र में स्थित इस विशाल संस्थान से गहरा संबंध है। अमेरिकी सरकार ने विश्वविद्यालय के 30,000 से अधिक छात्रों और वैज्ञानिकों पर गंभीर प्रतिबंध और नाकेबंदी लगा दी है।