लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने कहा है कि विधायिकाओं में वाद-विवाद और चर्चा गरिमापूर्ण होनी चाहिए और प्रत्येक सदस्य को इस तरह से आचरण करना चाहिए जिससे सदन की गरिमा और मर्यादा में वृद्धि हो. बिरला ने यह विचार संसद भवन परिसर में देश के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए. बिरला ने सुझाव दिया कि पीठासीन अधिकारी नियमित रूप से बैठक करें और इन मुद्दों पर चर्चा करें ताकि विधानसभाओं में सार्थक चर्चा हो सके. बैठक में राज्य सभा के उपसभापति और 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया.
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बैठक में दल-बदल विरोधी कानून को मजबूत करने, विधायिकाओं को उत्कृष्ट पुरस्कार और विधानसभाओं की न्यूनतम बैठकों की संख्या जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई. दल-बदल विरोधी कानून को मजबूत करने के बारे में बोलते हुए बिरला ने कहा कि कानून में संशोधन के लिए पीठासीन अधिकारियों, संविधान विशेषज्ञों, कानूनी विद्वानों और अन्य हितधारकों से परामर्श किया जाएगा. संसदीय कार्यवाही से कुछ शब्दों को ‘बैन’ किए जाने के मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से सदस्यों को यह जानकारी देने का आग्रह किया कि किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन जो शब्द सभापीठ के निर्देशों के अनुसार कार्यवाही से हटा दिए गए है, उन्हें संकलित किया गया है. उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को सदन में सम्मानजनक आचरण के लिए सदस्यों का मार्गदर्शन करना चाहिए. इसके साथ ही राज्य विधानसभाओं की बैठकों की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए.
देश में विधानसभाओं के बारे में जानकारी के लिए एक मंच की आवश्यकता पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि एक डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है, जिस पर देश की सभी विधानसभाओं की डिबेट्स उपलब्ध होंगी. उन्होंने राज्य विधानसभाओं की बहसों को साझा करने के लिए पीठासीन अधिकारियों से सहयोग मांगा ताकि एक मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया जा सके. नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता पर बोलते हुए, बिरला ने कहा कि पंचायतों सहित सभी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित विधायी निकायों के लिए नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता, जमीनी स्तर से लोकतंत्र को मजबूत करेगी. लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी बताया कि उनके नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल 20-26 अगस्त 2022 तक हैलिफ़ैक्स, नोवा स्कोटिया, कनाडा में होने वाले राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) सम्मेलन में भाग लेगा. इस कार्यक्रम में 54 देशों के 181 प्रतिनिधि जिनमें भारत से 27 प्रतिनिधि भाग लेंगे. बिरला ने यह भी कहा कि सीपीए के ढांचे के भीतर राज्य विधानमंडलों की सक्रिय भागीदारी और व्यापक चर्चा सुनिश्चित करने के लिए भारत में सीपीए जोन की संख्या तीन से बढ़ाकर नौ कर दी गई है. पीठासीन अधिकारियों ने शिमला और गुवाहाटी में पीओ सम्मेलन में अपनाए गए प्रस्तावों के कार्यान्वयन के बारे में भी चर्चा की.
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