कभी दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन था। लेकिन 2025 से पहले ही भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ने जा रहा है। यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत 2027 में दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। जैसे जैसे आबादी बढ़ती है गरीबी विकराल रूप लेने लगती है। रोटी, कपड़ा, मकान,बेरोजगारी, प्रदूषण, पानी, शिक्षा, इकॉलॉजी, इकॉनामी,सामाजिक ताना बाना, कानून व्यवस्था सभी कुछ बड़ती जनसंख्या से प्रभावित होगा। इन्फोसिस के फाऊंडर नारायण मूर्ति तक ने इस विषय पर अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त उपाए करने की जरूरत है। हमारी प्रति व्यक्ति भूमि की उपलब्धता और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से गड़बड़ा जाएंगी। हम अमेरिका, ब्राजील,चीन देशों से कम्पीट नहीं कर पाएंगे क्यों कि हमारे देश का क्षेत्रफल इतना नहीं है जितना इन देशों के पास है। देश की इस गंभीर समस्या को समझते हुए दैनिक नवज्योति ने गुरुवार को कोटा स्थित कार्यालय में भावी पीढीÞ की सुरक्षा के लिए जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया। परिचर्चा में विभिन्न क्षेत्र के विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। प्रस्तुत हैं उसके चुनिंदा अंश:-
हाई लाइट्स
– राष्टÑीय जनसंख्या आयोग का गठन हो,भारत सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका
– चाइल्ड कंट्रोल एक्ट बनाया जाए,पनिश और रिवार्ड स्कीम्स बढ़ाई जाएं
– जनसंख्या के नियंत्रण के लिए सख्ती जरूरी,अन्यथा संघर्ष बढ़ जाएगा
– जनसंख्या नियंत्रण के उपाय के लिए जनभागीदारी बढाएं, शिक्षा को हथियार बनाएं
– लोग शिक्षित होंगे तो अपने आप जनसंख्या नियंत्रण होगा
– साम,दाम,दंड,भेद चारों नीति पर काम हो तो नियंत्रण संभव
– मुफ्तखोरी बंद की जाए,
– अन्य देशों से आने वाले कथित शरणार्थियों पर नियंत्रण किया जाए
– धार्मिकता और अंध विश्वास दूर करने की जरूरत
– नसबन्दी के बाद देश में कभी इस क्षेत्र में काम नहीं हुआ, अभियान रूप में काम चले
– जनसंख्या नियंत्रण कानून सभी समाज,धर्म पर समान रूप से लागू हो
– बढ़ती जनसंख्या अभिशाप साबित होगी, देश गरीब से गरीब होगा
– जनसंख्या का बढ़ता बोझ घट रहे संसाधन रोज
– शिक्षा, भय व प्रोत्साहन से हो सकती जनसंख्या नियंत्रित
– बढ़ती जनसंख्या कर रही संसाधनों का विस्फोट
– स्वयंसेवी संस्थाएं परिवार कल्याण के कार्यक्रम को मिशन के रूप लें
– कोटा में प्रति वर्ष बढ़ रही 2.5 प्रतिशत जन संख्या
– कोटा में डेंसिटी खतरनाक स्तर पर, 595 लोग रहते हैं प्रति वर्ग किलोमीटर में
दबाव से नहीं, जागरूकता से नियंत्रण संभव
जिस तरह से जनसंख्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है उसे देखते हुए इसके नियंत्रण का कानून लाना आवश्यक है। सरकारें इस पर विचार कर रही हैं। जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान की जानकारी सरकारों को भी है। लेकिन कानून में सख्ती से इसे नियंत्रित करना मुश्किल है। शिक्षा और जनजागृति से जिस तरह से कुप्रभाओं को समाप्त किया गया है उसी तरह से जनसंख्या वृद्धि के खतरों के प्रति लोगों को जागरूक कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।केवल सरकार के भरोसे यह काम संभव नहीं है। इसके लिए सभी को जगरुक होना पड़ेगा। इसके कुप्रभाव समझने होंगे।
– अशोक त्यागी, सीईओ, जिला परिषद कोटा
जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण आवश्यक
देश में जिस तरह से पिछले कुछ सालों में जनसंख्या बढ़ रही है वह किसी विस्फोट से कम नहीं है। हालांकि शुरुआती सालों में जनसंख्या कम तेजी से बढ़ी थी। लेकिन 1951 के बाद से जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ी है। जनसंख्या बढ़ने से होने वाले नुकसान की सभी को जानकारी है। कई कमजोर वर्ग के परिवार अधिक बच्चों को लाभ का जरिया मानते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा उन्हें नि:शुल्क सुविधा देने से उन परिवारों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता। नि:शुल्क सुविधाओं को बंद कर देना चाहिए । साथ ही आने वाली पीढ़ी को सुविधाएं देनी हैं तो जनसंख्या पर नियंत्रण आवश्यक है।
– जी.एल. मालव, सेवानिवृत्त प्राचार्य, राजकीय कला महाविद्यालय
कोटा में हर दस साल में 25 प्रतिशत जनसंख्या बढ़ रही
कोटा में लगातार जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। कोटा शहर में 1991, 2001, 2011 की तीन जनगणनाओं में जुड़ा रहा। कोटा की जनसंख्या कि जो बढोत्तरी की दर है वो 2.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष है। दस साल में कोटा में 25 प्रतिशत जनसंख्या बढ़ जाती है। कोटा में संसाधन लगातार घट रहे हैं। सिमित संसाधन जनसंख्या की बढोत्तरी को झेल नहीं पा रहे है। खेती की जमीन कम हो रही है। आबादी में लगातार बढोत्तरी हो रही है। बढ़ती जनसंख्या विस्फोटक होती जा रही है। इसके चलते बच्चों को क्वॉलेटी एजुकेशन नहीं मिल पा रही है। स्कूलों में जगह कम होती जा रही है। बच्चों को बैठने की जगह कम हो रही है। इमरजेंसी में सख्ती से कुछ हद तक जनसंख्या में नियंत्रण हुआ। लेकिन वर्तमान में कुछ जातियों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही वहीं कुछ जातियों में लगातार घट रही है। घटते संसाधन जनसंख्या के विस्फोट को झेल नहीं पाएंगे।
– हरिसुदन शर्मा, सेवानिवृत सहायक निदेशक, सांख्यिकी
प्रोत्साहन और हतोत्साहन दोनों जरूरी
देश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने से जहां जन्मदर में लगातर बढ़ोत्तरी हो रही है। वहीं भयावह बीमारियों के नियंत्रण के चलते देश में मृत्युदर में काफी कमी आई है। हमारे संसाधन सिमित है लेकिन दोहन करने वाले लगातार बढ़ रहे है। देश में फ्री योजनाएं बंद होनी चाहिए। प्रोत्साहन और हतोत्साहन पर काम करने की जरूरत है। वित्तीय संसाधन, आर्थिक, सामाजिक संसाधनों के दोहन पर नियंत्रण होना जरूरी है। जनसंख्या में स्थिरता, और जनसंख्या नियंत्रण पर सभी देश काम कर रहे है। 2050 तक जनसंख्या में स्थिरता आने की संभावना है। विश्व की वर्तमान जनसंख्या 7.9 अरब है। कुछ ही समय बाद यह 8 अरब तक पहुंच जाएगी। 2055 में विश्व की जनसंख्या का घनत्व 10 अरब हो जाएगा। पिछले कुछ दशकों में भारत जनसंख्या नियंत्रण पर काफी कार्य हुए है। नॉथ व साउथ में वृद्धि दर 2 प्रतिशत वहीं यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश अन्य राज्यों में 3.4 प्रतिशत है। 2030 तक कार्यशील जनसंख्या में कमी आएगी। कोटा में डेनसीटी 595 है। बढ़ती जनसंख्या अभिश्राप है। गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं दे पाएंगे। कर्म, धर्म और वर्ण के आधार पर परिवर्तन की जरूरत है। विवाह की आयु बढाने पर भी प्रयास चल रहे है।
– आर.एन. मालव, संयुक्त निदेशक, सांख्यिकी
समान रूप से सभी पर लागू हो कानून
जिस तरह से देश में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है। उसे देखते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून काफी समय पहले ही आ जाना चाहिए था। इसमें देरी हो चुकी है। अब इसे शीघ्र लाना चाहिए। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू हो इसका भी प्रावधान किया जाए। हालांकि इसे लागू करने में कई तरह की समस्याएं भी हो सकती है उन सभी का समाधान करने की भी जरूरत है। जिस तरह से जनसंख्या का बोझ बढ़ता जा रहा है उस हिसाब से रोजाना संसाधन कम होते जा रहे है। इसे ध्यान में रखते हुए यह कानून काफी महत्वपूर्ण व आवश्यक है।
– यज्ञदत्त हाड़ा, सेवानिवृत्त सहायक निदेशक, सांख्यिकी एवं समाज सेवी
चाइल्ड कंट्रोल एक्ट बनना चाहिए
बढ़ती जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी है कि चाइल्ड कंट्रोल एक्ट आना चाहिए। सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का सही से क्रियान्वयन जरूरी है। परिवार कल्याण के कार्यक्रमों में जनभागीदारी बढ़ाना होगा। ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर हो रहे पलायान को रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराए जाए जिससे शहरों और ग्रामीण इलाकों की जनसंख्या में नियंत्रण किया जा सकें। जब तक सख्ती नहीं होगी जनसंख्या नियंत्रण नहीं होगी। वर्तमान में जो पॉलीसी बनी है उनका ही ठीक से पालन हो जाए तो जनसंख्या नियंत्रण हो सकती है। शिक्षा जनसंख्या नियंत्रण में एक अच्छा माध्यम हो सकता है। चाइल्ड पॉलिसी की सख्ती से पालना होनी चाहिए। स्लम एरिया में जितने ज्यादा बच्चे जितनी ज्यादा आय वाले लोगों की सोच बदलनी होगी। सरकार के भरोसे ही नहीं आमजन को इसमें पूरा सहयोग करना होगा। सती प्रथा, बाल विवाह जैसी बुराई पर नियंत्रण पाया है तो जनसंख्या पर कंट्रोल किया जा सकता है।
– मनोज मीणा, उप निदेशक, सामाजिक एवं महिला अधिकारिता विभाग कोटा
उत्पादन स्थिर, जनसंख्या नहीं
बड़ी संख्या में अन्य देशों से लोग यहां आकर अवैध रूप से रह रहे है। देश में जनसंख्या लगतार बढ़ रही है। किसानों की जमीन लगातार घट रही है। जनसंख्या बढ़ाने में नरेगा भी अहम भूमिका निभा रही है। लोगों का मानना है जितने लोगा उतना ही ज्यादा काम के चलते जनसंख्या बढ़ा रहे है। फ्री का राशन, फ्री शिक्षा के चलते लोग जनसंख्या बढ़ाने में जुटे हुए है। दो बच्चे वालों को ही नि:शुल्क शिक्षा और फ्री का राशन दिया जाए। बढ़ती जनसंख्या से अनाज का उत्पादन घट रहा है। आने वाले दस साल में अनाज व दलहनी फसलों उत्पादन घटेगा। उत्पादन क्षमता स्थिर हो गई है। किसानों को मिलने वाली छूट कम हो रही है। बढते परिवारों के चलते जमीन घट रही है। 2047 तक गांवों स्कूल बनाने के लिए जमीन नहीं होगी। कोटा में चंबल होने बावजूद वर्तमान पेयजल नहीं मिल रहा आने वाले समय यह स्थिति और भयावह हो जाएगी।
– जगदीश शर्मा, किसान नेता व अधिवक्ता
ज्ञान, भय व लालच से हो सकता है नियंत्रण
जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सिर्फ कानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है। कानून को तो सख्ती से लागू किया जाए। साथ ही ज्ञान, भय व लालच से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। लोगों को शिक्षित किया जाए। शिक्षा का स्तर अधिक होने पर जनसंख्या कम बढ़ेगी। शिक्षा से नहीं मानने वालों पर सख्ती करनी होगी। साथ ही जो 80 करोड़ लोग गरीब तबके में आ रहे हैं उनके बच्चों को शिक्षित करने व प्रोत्साहन देने की जिम्मेदारी सरकार उठाए। जिनके एक ही बच्चा है उन्हें दो बच्चे करने के लिए इनकम टैक्स में छूट दी जाए और जिनके तीन से अधिक हैं उनकी सुविधाएं बंद की जाएं। तभी नि:शुल्क योजनाओ पर होने वाला खर्च भी बचेगा और जनसंख्या पर भी नियंत्रण लगेगा।
– डॉॅ. सुधीर उपाध्याय, चिकित्सक एवं समाज सेवी
जलवायु जनसंख्या वृद्धि का एक मुख्य कारक
विश्व में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न कारणों में मुख्य कारण जलवायु का भी है। एशिया महाद्वीप का जलवायु उष्ण है। यहां जनसंख्या तेजी बढ़ती है. अंधविश्वास, लिंगभेद जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण है। देश की शिक्षा नीति में बदलाव की आवश्यकता है। बढ़ती जनसंख्या लोगों को संतुलित भोजन नहीं उपलब्ध करा रही है। इसी रफ्तार से जनसंख्या बढ़ती रही तो 2047 में लोगों के पास ना तो खेती की जमीन होगी ना ही पीने का पानी होगा। लोगों को पता है संसाधन सिमित है उसके बावजूद परिवार कल्याण के कार्यक्रमों से दूरी बना रहे है। सरकारी योजनाओं का सही से क्रियान्वयन हो, समाज में नशा मुक्ति, अशिक्षा जैसी बुराई खत्म करने लिए स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आए। कोटा में 200 से ज्यादा स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही लेकिन परिवार नियंत्रण पर एक भी संस्था काम नहीं कर रही जिससे की सार्थक परिणाम नहीं आए है।
– रघुराज सिंह परिहार, प्रोफेसर
प्रकृति स्वयं बना लेती है संतुलन
जनसंख्या पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। जिस तेजी से यह बढ़ रही है उससे आने वाली पीढ़ी के लिए संसाधनों की कमी हो जाएगी। जनसंख्या पर नियंत्रण केवल सरकार के भरोसे या कानून बनाने मात्र से नहीं होगा। इसके लिए लोगों को स्वयं जागरूक होना होगा। जिस तरह से घर में मां, स्कूल में शिक्षक बच्चे के गुरु होते हैं। उसी तरह से तीसरा गुरु प्रकूृति है। यदि दो जगह से सीख नहीं मिलती है तो प्रकृति उसे सिखा देती है। जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए प्रकृति अपना संतुलन खुद बना लेगी।
– देव शर्मा, शिक्षाविद्