कोलंबो:
श्रीलंका में लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के बीच तेल संकट लगातार गहराता चला जा रहा है. उसे जुलाई और अगस्त में पेट्रोल-डीजल की खरीद के लिए 58.7 करोड़ डॉलर यानी करीब 21126 करोड़ श्रीलंका रुपये की भारी रकम तेल कंपनियों को चुकानी है. श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कंचना विजिसेकरा ने रविवार को खुद ये बात कही. खबरों के अनुसार, श्रीलंका की सरकारी सीलोन पेट्रोलियम कारपोरेशन के पास 12,774 मीट्रिक टन डीजल औऱ 14141 मीट्रिक टन पेट्रोल बचा है, जो जल्द खत्म हो सकता है. श्रीलंका सरकार ने रविवार को उम्मीद जतायी कि देश में ईंधन की उपलब्धता में एक सप्ताह के भीतर सुधार होगा और इस महीने डीजल की तीन खेप सहित ईंधन की चार खेप आने की संभावना है.
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बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकरा ने रविवार को कहा कि डीजल की खेप 8-9 जुलाई, 11-14 जुलाई और तीसरी खेप 15-17 जुलाई को श्रीलंका पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि पेट्रोल की खेप 22-23 जुलाई को श्रीलंका पहुंच जाएगी. श्रीलंका सरकार ने उम्मीद जताई है कि देश में ईंधन की उपलब्धता में एक हफ्ते के भीतर सुधार होगा और इस महीने डीजल की तीन खेप सहित ईंधन की चार खेप आने की संभावना है. ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकरा ने कहा कि डीजल की खेप 8-9 जुलाई, 11-14 जुलाई और तीसरी खेप 15-17 जुलाई को श्रीलंका पहुंचेगी. पेट्रोल की खेप 22-23 जुलाई को श्रीलंका पहुंच जाएगी.
ईंधन की कमी के कारण शिक्षा मंत्रालय ने अगले सप्ताह चार जुलाई से आठ जुलाई तक सभी सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए अवकाश घोषित है. संसद सत्र को भी 4 दिनों के बजाय तीन दिन का कर दिया गया है. पिछले हफ्ते से, सरकारी ईंधन कंपनी सिलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने निजी वाहनों को ईंधन जारी करना बंद कर दिया और केवल आवश्यक सेवाओं तक ही इसकी आपूर्ति की जा रही है. इंडियन ऑयल कंपनी से जुड़ी लंका आईओसी ने सीमित आधार पर निजी ग्राहकों को ईंधन की आपूर्ति की, जिससे एलआईओसी के 200 से अधिक स्टेशन के पास मीलों लंबी कतार लग गई.
विजेसेकरा ने कहा कि सरकार ने पूर्वी जिले त्रिंकोमाली में एलआईओसी के भंडारण से ईंधन खरीदने की व्यवस्था की है. श्रीलंका सरकार रूस से रियायती तेल खरीदने के विकल्प भी तलाश रही है. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने के कारण अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच द्वीपीय राष्ट्र ईंधन भंडार को फिर से भरने के लिए कई कदम उठा रहा है. पिछले सप्ताह लंबी अवधि तक ईंधन की आपूर्ति को लेकर समझौते के लिए विजेसेकरा कतर गए थे.