संसद परिसर में धरने-प्रदर्शन की इजाजत नहीं देना, लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला : शरद पवार

शरद पवार ने कहा, लोकतांत्रिक अधिकारों पर किसी भी तरह के हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

नागपुर:

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar)ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शनों और धरने पर रोक लगाने के फैसले का शुक्रवार को पुरजोर तरीके से विरोध किया. उन्होंने इसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार दिया. उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सचिवालय ने एक परिपत्र जारी कर कहा है कि संसद भवन परिसर में प्रदर्शन, धरना या धार्मिक कार्यक्रम नहीं होंगे. इस कदम से विपक्ष की त्योरियां चढ़ गई हैं जबकि अधिकारियों ने इस तरह के नोटिस को संसद सत्र से पहले जारी करने को ‘‘नियमित” प्रक्रिया करार दिया है. यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक अधिकारों पर किसी भी तरह के हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”राज्यसभा सदस्य पवार ने कहा कि विपक्षी पार्टियां शनिवार को दिल्ली में बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगी और सामूहिक रुख तैयार करेंगी.संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है.

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पवार ने कहा कि जब सांसदों की संसद के भीतर आवाज नहीं सुनी जाती है तो वे वॉकआउट करते हैं और परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘अधिकारों को देने से इंकार किया जा रहा, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”महाराष्ट्र में राकांपा की सहयोगी शिवसेना द्वारा भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की राष्ट्रपति पद उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा के सवाल पर पवार ने कहा, ‘‘प्रत्येक राजनीतिक दल को अपना फैसला लेने का अधिकार है.”

महाराष्ट्र में महा विकास अघाडी (एमवीए) गठबंधन में राकांपा के अलावा कांग्रेस और शिवसेना शामिल है. इस गठबंधन के जारी रहने और भविष्य में चुनाव लड़ने के सवाल पर पवार ने कहा कि इसपर उनकी पार्टी में चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी निजी राय है कि एमवीए को एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए.”राकांपा अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र में नयी सरकार के बने हुए 15 दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक केवल दो लोग, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस प्रशासन को देख रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल गठन में क्यों देरी हो रही है, यह पता नहीं. वे केवल एमवीए सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को रद्द करने का काम कर रहे हैं. यह अच्छी नजीर नहीं है.”पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मुश्किल की ओर बढ़ रही है और इसे पटरी पर लाने के लिए उचित कदम उठाया जाना चाहिए.श्रीलंका में आर्थिक संकट और चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर पूर्व रक्षा मंत्री पवार ने कहा, ‘‘चीन ने कुछ हद तक एलएसी पार की और हमारे हिस्सों में दाखिल हुआ है. इस स्थिति में सरकार ने अबतक देश को नहीं बताया है कि उसका इस मुद्दे पर रुख क्या है. मेरा मानना है कि यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसपर राजनीति नहीं होना चाहिए…सभी को एकजुट होना चाहिए.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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