सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज के आएंगे अच्छे दिन, जानिए इसकी वजह


हिमांशु जोशी/पिथौरागढ़.उत्तराखंड के दूरस्थ और सीमांत जिले पिथौरागढ़ के छात्रों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के लिए साल 2011 में जिले में पहले सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी. उस समय इस इंजीनियरिंग कॉलेज का अपना कोई भवन नहीं था, जिस वजह से यहां कक्षाएं केएनयू जीआईसी और आईटीआई पुनेड़ी में चलनी शुरू हुई. जिसके बाद 15 करोड़ रुपये की लागत से इस बीटेक कॉलेज का अपना भवन पिथौरागढ़ के नजदीक बसे गांव मढ़धुरा में बनना शुरू हुआ, जिसका निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है, लेकिन निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद यहां इस भवन में तमाम खामियां बताकर इस बीटेक कॉलेज को जीआईसी की ही भूमि में संचालित करने का फैसला लिया गया है, जिसका तमाम विरोध भी हो रहा है.

अपना भवन न होने के कारण इसे एआईसीटीई से भी मान्यता नहीं मिल सकी और यहां तमाम घोटालों के आरोप लगते गए. तमाम विवादों के चलते इसका असर यह हुआ कि यहां छात्र संख्या लगातार घटते चली गई और सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज बदहाल होता गया.

कॉलेज को मिला नया डायरेक्टर
एक समय यहां 1200 से अधिक छात्र तकनीकी शिक्षा लेते थे, तो वर्तमान में इसकी संख्या मात्र 284 ही रह गयी है. सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज अब उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का कैंपस है, जहां इन दिनों प्रवेश प्रक्रिया चल रही है. यहां लंबे समय से डायरेक्टर का पद भी खाली ही चल रहा था, जिसका अतिरिक्त चार्ज भी पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी के पास था लेकिन अब इस बीटेक कॉलेज को नए डायरेक्टर भी मिल गए हैं.

क्या मिलेगा कॉलेज को नया भवन
डायरेक्टर अजीत सिंह ने कार्यभार संभाल लिया है, जिन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में 284 छात्र यहां विभिन्न ब्रांचों में पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज की वर्तमान स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि यहां फैकल्टी के 92 पदों के सापेक्ष 26 पदों पर ही शिक्षक मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्र संख्या बढ़ाने और सभी ब्रांचों को उच्च शिक्षा का माहौल देने का उनका प्रयास रहेगा.साथ ही उन्होंने बीटेक कॉलेज के अपने भवन पर भी सुखद परिणाम आने की बात भी कही है.

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