भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार का पूर्ण प्रयास होगा कि कोई बच्चा स्कूल जाना बंद ना करे और राज्य सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रयासों में पूर्ण सहयोग करेगी। यादव आयोग की ओर से आयोजित कार्यशाला में हिस्सा ले रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई है। राज्य सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रयासों में पूर्ण सहयोग करेगी। यह प्रयास होगा कि कोई बच्चा स्कूल जाना बंद न करे। किन्हीं परिस्थितियों में ड्राप आउट के लिए विवश का शिकार न बने। शिक्षा ग्रहण करना प्रत्येक विद्यार्थी का अधिकार है।
आदिकाल से भारत का अपना विशेष चरित्र और आदर्श संस्कृति रही है, इसलिए भारत विश्व गुरु कहलाया। हमारी व्यवस्था में गुरु की भूमिका अंधकार से प्रकाश की ओर ले जानी वाली रही है। जीवन में शिक्षा का स्थान सर्वोपरि है। किसी भी पद और हैसियत से अधिक महत्व शिक्षा का है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षाओं के पहले विद्यार्थियों से संवाद कर उनका आत्म-विश्वास बढ़ाते हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा के महत्व में वृद्धि की है। अनेक सुविधाएं विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री भारत में नई शिक्षा नीति लेकर आए।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि शिक्षा पूरी पीढ़ी को बदलने का कार्य करती है। विपरीत परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों को मुख्यधारा में लाना महत्वपूर्ण है। अभिभावकों द्वारा रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाने पर बच्चों की शिक्षा में बाधा उत्पन्न होती थी। अब अन्य राज्यों में भी हिन्दी में विद्यार्थियों को पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती हैं। किसी बच्चे के 30 दिन विद्यालय में अनुपस्थित रहने पर इसका कारण ज्ञात कर समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि प्रदेश में संचालित आवासीय विद्यालय में पढऩे वाले वंचित वर्गों के बच्चों को पढ़ाई के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बनेगा, जहां कोई भी बाल श्रमिक नहीं रहेगा। इस कार्यशाला के माध्यम से 6 राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दादर नगर हवेली-दमन-दीव, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञ और शिक्षा के क्षेत्र के विद्वानों द्वारा शाला त्यागी बच्चों की स्थिति पर चर्चा की गई। साथ ही प्रदेश में स्कूलों से बच्चों के ड्रॉप आउट की प्रवृत्ति को कम करने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया।