कमल पिमोली/ श्रीनगर. कई जन संघर्षों और आंदोलनों के बाद 19 नवंबर 1973 को उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में गढ़वाल विश्वविद्यालय (HNBGU Uttarakhand) की स्थापना की गई. दो कमरों से शुरू हुए गढ़वाल विश्वविद्यालय के पास आज अपने एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ तीन कैंपस और 80 से ज्यादा संबद्व कॉलेज हैं.यह यूनिवर्सिटी गढ़वाल क्षेत्र की जनता का उच्च शिक्षा के माध्यम से विकास की आशाओं और आकांक्षाओं की प्रतीक है. 1973 में जब श्रीनगर में गढ़वाल विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था, तो उस दौरान यहां न तो पर्याप्त संसाधन थे और न ही शिक्षक. बावजूद इसके गढ़वाल विश्वविद्यालय खुद को स्थापित करने में सफल रहा. 1989 में हिमपुत्र के नाम से प्रसिद्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हेमवती नंदन बहुगुणा की स्मृति में इसका नाम बदलकर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय कर दिया गया. तब गढ़वाल विश्वविद्यालय एक स्टेट यूनिर्वसिटी के रूप में गढ़वाल क्षेत्र के छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहा था.
बदलते समय के साथ गढ़वाल विश्वविद्यालय में भी काफी बदलाव आए. इस दौरान विश्वविद्यालय के तीन कैंपस भी बने, जिसमें से मुख्य कैंपस श्रीनगर व इसके अलावा पौड़ी व टिहरी में भी कैंपस बनाए गए. शुरुआती दौर में इन कैंपसों को स्थापित करने में कई चुनौतियां आईं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने मजबूती के साथ इन्हें स्थापित किया. इसके बाद यूनिवर्सिटी को 15 जनवरी 2009 को केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित कर दिया गया.
इस साल यूनवर्सिटी के 50 साल होंगे पूरे
सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने के बाद गढ़वाल विश्वविद्यालय के सामने कई चुनौतियां थीं, लेकिन इन चुनौतियों को पूरा कर आज देश के प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक बनकर उभरा है. वर्तमान में यहां देश के विभिन्न कोनों से छात्र पढने के लिए आते हैं. यह विश्वविद्यालय 19 नवंबर 2023 को अपने 50 साल पूरे कर लेगा. इस अवसर पर बीते 19 नवंबर 2022 से विश्वविद्यालय अपना गोल्डन जुबली वर्ष मना रहा है. इसके तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन इस साल 19 नवंबर तक चलेगा.
विश्वविद्यालय में 50 अधिक है विभाग
आर्ट और सांइस से शुरू हुए एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में वर्तमान में 51 से अधिक विभाग हैं. जिनमें कई लैंग्वेज कोर्स समेत उद्यानिकी, रिमोट सेंसिंग, हार्टीकल्चर, टूरिज्म, पत्रकारिता, बीटेक, होटल मैनेजमेंट, लॉ, कंप्यूटर साइंस समेत कई अन्य व्यावसायिक कोर्स शामिल हैं. मानविकी विज्ञान विभाग की डीन प्रोफेसर हिमांशु बोडाई बताती हैं कि गढ़वाल विश्वविद्यायल दो कमरों से शुरू हुआ था. विश्वविद्यालय लगातार सफलता की ओर अग्रसर है. यहां बड़ी संख्या में देश के विभिन्न कोनों से छात्र पढ़ने के लिए आते हैं, लेकिन जिस अवधारणा के साथ विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया था कि पहाड़ के युवाओं को बेहतर शिक्षा कम खर्च पर उपलब्ध हो सके, सीयूईटी परीक्षा पैटर्न के बाद यह अवसर कहीं न कहीं खत्म होते दिख रहा है. ऐसे में पहाड़ के छात्रों को किस तरह यहां प्रवेश दिया जाए, इसे लेकर योजना बनाने की आवश्यकता है.
गोल्डन जुबली प्रोग्राम के कार्डिनेटर प्रोफेसर सुरेन्द्र बिष्ट बताते हैं कि यूनिवर्सिटी द्वारा टीम का गठन किया गया है, जो बीते 50 सालों के अभिलेखिकरण डाक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रदर्शित करेगी. साथ ही आम जनमानस से भी अपील की गई है कि जिनके पास भी बीते 50 सालों के गढ़वाल विवि से जुड़े दस्तावेज या कोई चित्र हैं, तो वे इन्हें यूनिवर्सिटी के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग में उपलब्ध करा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 09, 2023, 11:21 IST