Bageshwar News: स्कूली बच्चों को टेक्नोलॉजी का ककहरा सिखा रहे 'मिस्टर खोजी'



बागेश्वर. उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में युवा पीढ़ी लगातार उन्नति कर रही है. खुद का हुनर निखारने के साथ ही ऐसे युवा दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं. ऐसे ही बागेश्वर के एक यूट्यूबर ने अनोखी पहल की है. मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले जीवन कोरंगा उर्फ ‘मिस्टर खोजी’ जिले के सरकारी स्कूलों में जाकर स्टूडेंट को नई टेक्नोलॉजी के बारे में जागरूक कर रहे हैं. वह हर शनिवार किसी न किसी स्कूल में प्रोग्राम आयोजित करते हैं. अब तक जीवन जिले के तीन स्कूलों में टेक्नोलॉजी संबंधित प्रोग्राम कर चुके हैं. इसके लिए वह किसी भी संस्था की मदद नहीं ले रहे हैं. वह स्वयं के संसाधनों से ही टेक्नोलॉजी के बारे में रिसर्च करते हैं और फिर छात्रों को पढ़ाते हैं. उनके पढ़ाने के तरीके को स्टूडेंट तो पसंद कर ही रहे हैं, साथ ही शिक्षक भी उनकी सराहना कर‌ रहे हैं.

जीवन कोरंगा उर्फ मिस्टर खोजी 22 साल के हैं. उन्होंने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि वह सरकारी स्कूलों में जाकर स्टूडेंट को AI, स्पेस टेक्नोलॉजी, रोबोटिक, 3D पेंटिंग, 6G इंटरनेट और वर्चुअल रियलिटी के बारे में बताते हैं और विजुअल के साथ पढ़ाते हैं. उन्होंने बागेश्वर के पंडित बीडी पांडे परिसर से पीसीएम से ग्रेजुएशन किया है. वह तीन साल से फुल टाइम कंटेंट क्रिएट कर रहे हैं. उनके यूट्यूब चैनल ‘खोजी प्लेनेट’ के 2.6 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं. साथ ही वह अपना निजी व्लॉग चैनल भी चला रहे हैं, जिसमें 8K सब्सक्राइबर्स हैं. इंस्टाग्राम पर भी उनकी अच्छी फैन फोलोइंग है.

निशुल्क देते हैं टेक्नोलॉजी का ज्ञान
जीवन कोरंगा पार्ट टाइम जॉब के तौर पर छात्रों को पढ़ाते भी हैं. वह सरकारी स्कूलों में टेक्नोलॉजी के बारे में स्टूडेंट को निशुल्क पढ़ाते हैं. वह जिले के अलग-अलग स्कूलों में टेक्नोलॉजी से संबंधित प्रोग्राम ऑर्गेनाइज करते हैं और बच्चों को तेजी से बदल रही टेक्नोलॉजी, उसके डेवलपमेंट और जॉब सेक्टर के बारे में बताते हैं. जीवन अब तक इंटर कॉलेज असों, इंटर कॉलेज कपकोट और जीजीआईसी बागेश्वर में प्रोग्राम कर चुके हैं. वह भविष्य में जिले के सभी इंटर कॉलेजों में प्रोग्राम करने का प्लान कर‌ रहे हैं. जीवन कहते हैं कि सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट के पास टेक्नोलॉजी के बारे में जानने के लिए उपयुक्त संसाधन नहीं होते हैं. इसी वजह से यह जिम्मा उन्होंने स्वयं उठाया है. इसके लिए वह पहले खुद टेक्नोलॉजी के बारे में रिसर्च करते हैं, फिर स्कूलों में जाकर स्टूडेंट को पढ़ाते हैं. इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों के अंदर टेक्नोलॉजी को लेकर अंडरस्टैंडिंग डेवलप करना है.

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