देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ‘नाइट लाइफ कल्चर’ तेजी से पांव पसार रहा है. शहर की आवोहवा बदल रही है, लेकिन इसके साथ ही अपराध और असुरक्षा के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. हाल के महीनों में बार, नाइट क्लब और हाउस पार्टियों का चलन युवाओं को खूब आकर्षित कर रहा है. लेकिन इसी के साथ सड़क पर हुड़दंग, शराब के नशे में मारपीट और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश अपराध रात के अंधेरे में ही होते हैं. पार्टियों से लौटते समय नशे में धुत युवाओं का सड़कों पर हुड़दंग करना आम हो गया है. बढ़ती नाइट लाइफ के साथ शहर की सुरक्षा, महिलाओं की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या देहरादून इस बदलाव के लिए तैयार है. लोकल18 ने दूनवासियों से बदलते ट्रेंड पर उनकी राय जानी.
देहरादून स्थित पंडितवाड़ी के रहने वाले शुभम बिष्ट कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं. देहरादून में नाइट लाइफ कल्चर पर उन्होंने कहा कि विकास होना अच्छी बात है, लेकिन ज्यादातर युवा कहीं न कहीं अपनी संस्कृति से पिछड़ते जा रहे हैं. यही कारण है कि देहरादून में पिछले कुछ सालों में नाइट लाइफ क्लचर बढ़ा है. जब हम छोटे थे तो रात को बाहर जाने से भी डरते थे. लेकिन अब युवाओं में वो डर खत्म हो गया है. जिससे इस शहर की आवोहवा बदल रही है. इस तरह के बढ़ते क्लचर के लिए मैं सोशल मीडिया को भी दोषी मानता हूं.
रात में सड़कों पर हुड़दंग करते युवा
वहीं, अन्य युवक संयम नौटियाल ने इस मुद्दे पर अपनी बेबाकी से राय रखी. उन्होंने कहा कि देहरादून एक एजुकेशन हब है. हज़ारों की संख्या में अन्य राज्यों से भी यहां बच्चे पढ़ने आते हैं. सभी लोग अपने-अपने क्लचर और सोसाइटी से आए हैं. आलम ये है कि रात में अगर आप बाहर निकलते हैं तो देखते है कई युवा हुड़दंग करते हुए सड़कों पर वाहन दौड़ा रहे हैं. ये देवभूमि है, लेकिन पब-बार का क्लचर यहां पांव पसार रहा है. रात को बाज़ार में कई दुकानों का खुला रहना, यह ठीक नहीं है.
बच्चों के साथ माता-पिता भी दोषी
देहरादून की रहने वाली हेमा नेगी बताती हैं कि दून में बढ़ते नाइट लाइफ कल्चर में युवा डूबते जा रहे हैं. इसका ज़िम्मेदार मैं सिर्फ उन्हें नहीं बल्कि माता-पिता को भी मानती हूं. पहले के अभिभवाक अपने बच्चों पर ध्यान देते थे कि वो कहां है, क्या करता है और कहां जा रहा है. लेकिन आज के माता-पिता हर चीज़ को अनदेखा कर रहे हैं. रात में बच्चों का घर से बाहर जाकर गलत आदतों में पड़ने का जिम्मेदार जितने बच्चे खुद हैं उतने ही उनके माता-पिता हैं.
नशे की जद में युवा
2011 में दिल्ली से देहरादून बसने वाली मुक्ता बताती हैं कि पहले के समय देहरादून की रात और अब के समय की रात में बहुत अंदर है. ऐसा मैं इसलिए बोल रही हूं क्योंकि पहले हमें रात में यहां डर नहीं लगता था लेकिन अब लगने लगा है. दिल्ली जैसे बड़े-बड़े महानगरों की तरह देहरादून की नाइट लाइफ बेहद बदल गई है. कई युवा नशे की जद में है और रात को वाहनों पर खुलेआम हुडदंग करते हैं. हालात ये है कि बच्चे रात 8 बजे के बाद आउटिंग पर जा रहे हैं और देर रात तक पार्टियां करते हैं. दुनियाभर के पब-बार यहां खुले हैं. मेरी खुद दो बेटियां हैं, मैं कभी भी उन्हें रात में बाहर नहीं जाने देती हूं.
एक हाथ में शराब और बाइक पर चहलकदमी
वहीं देहरादून की रहने वाली सोनी ने कहा कि रात के समय जब हम काम करके घर लौटते हैं तो देखते हैं कि दिन से ज्यादा रात को युवा बेढंग तरीकों से वाहन चलाता है. यहीं नहीं कई बार तो ये हालत होते हैं कि एक हाथ में शराब की बोतल और दूसरे हाथ से बाइक चला रहे होते है. एक महिला होने के नाते कई बार मुझे डर लगता है. लेकिन आज से 10 साल पहले ऐसा नहीं था. देहरादून में दिन से ज्यादा रात को पब-बार में चहलकदमी देखने को मिलती हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 13:41 IST