कोटा। अब कक्षा दस से कम और 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग संस्थान यदि पढ़ाएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में शुक्रवार को मुख्य जिला शिक्षाधिकारी (मुख्यालय) के.के शर्मा ने एक एडवायजरी आदेश जारी कर बताया कि विभाग से बिना मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान द्वारा शिक्षण कार्य या सामूहिक शिक्षा देना गैर कानूनी की श्रेणी में आता है। यदि ऐसा पाया जाता है तो शिक्षा विभाग द्वारा नियम विरूद्द संचालित संस्थाओं पर निर्धारित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एडवायजरी में यह भी कहा गया है कि अभिभावक व विद्यार्थी किसी भी गैर सरकारी विद्यालय में प्रवेश लेते समय विद्यालय की मान्यता एवं उसके स्तर को आवश्यक रूप से जांच परख करने के बाद ही प्रवेश लें। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को स्थानीय कार्यालय में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के मुख्य पदाधिकारी एवं सदस्यों ने जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक/प्रारंभिक कोटा एवं मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के साथ अहम बैठक कर भारत सरकार के उच्च्तर शिक्षा विभाग शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी गाइड लाइन, राज्य सरकार की गाइड लाइन, कलक्टर द्वारा जारी गाइड लाइन की अक्षरांस पालना सुनिश्चित कराने के लिए बैठक की थी। कोचिंग संस्थानों द्वारा इसकी पालना नहीं किए जाने पर अब विभाग कानूनी कार्रवाई करेगा।
बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी
छात्र के विकास के लिए उसका स्कूल में जाना आवश्यक है। नेशनल एजुकेशन पालिसी के अनुसार स्कूल जाने से ही उसका सम्पूर्ण विकास होता है। यदि बच्चे को कोचिंग में ही पढ़ाया जाता है तो वह किताबी ज्ञान तो ले सकता है लेकिन उसका अन्य विकास नहीं होता जो जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
– मनीषा क्रिष्टोफर अध्यापिका व चाइल्ड़ बिहेवियर काउंसलर
अब तक अभिभावक भ्रम में
देश भर में अब तक लाखों अभिभावक भ्रम में हैं कि वह अपने बच्चे को कोचिंग में पढ़ाएं या स्कूल में। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग ने स्थिति स्पष्ट कर दी है कि बच्चे को दसवीं तक और 16 वर्ष से कम उम्र तक कोचिंग में नहीं पढ़ाया जाएगा। कोचिंग से बच्चा डाक्टर और इंजीनियर बन जाएगा ऐसा अभिभावकों में भ्रम है। अभिभावक को बच्चे की क्षमता देखना चाहिए। अभिभावकों को भी सरकार की गाइड़लाइन की पालना करना चाहिए। सरकार कोई निर्णय ऐसे ही नहीं लेती। उसके पीछे कई शौध और अनुभव होता है। स्कूल बच्चे को अच्छा इनसान बनाता है।
– किशन कैशव रावत, एक छात्र के अभिभावक
छात्र का सर्वांगीण विकास स्कूल में ही संभव
बच्चे कोचिंग में एडमिशन लें या स्कूल में, उनके लिए क्या जरूरी है। यदि बीच में ही कोचिंग में किसी तरह की कार्रवाई हो जाए तो ऐसी स्थिति में छात्र का क्या भविष्य है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार शिक्षा विभाग के अधिकारी क्या कर रहे हैं। इस संबंध में नवज्योति ने शुक्रवार को ही शिक्षा विभाग की संयुक्त निदेशक तेज कंवर से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके अंश।
– नवज्योति-मेम लाखों विद्यार्थी इस भ्रम में हैं कि वह कोचिंग में एडमिशन लें या स्कूल में। इस संबंध में गाइड लाइन क्या कहती है।
संयुक्त निदेशक- नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत जारी गाइड लाइन मेें स्पष्ट कहा गया है कि छात्र के सर्वांगीण विकास के लिए उसे दसवीं तक और 16 वर्ष से कम उम्र तक कोचिंग में नहीं पढ़ाया जा सकता। उसे स्कूल में पढ़ाया जाना चाहिए। इस संबंध में पैरेन्टस को भी देखना चाहिए। छात्र का सर्वांगीण विकास स्कूल में ही हो सकता है। इतना ही नहीं यह भी कहा गया है कि स्कूल समय में कोचिंग संस्थान नहीं चला सकते हैं।
– नवज्योति-कुछ कोचिंग संस्थान फिर भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
संयुक्त निदेशक- हाल ही जारी गाइड लाइन में जो कहा गया है उसकी पालना करवाने को हर जिले में जिला शिक्षा अधिकारी कार्य कर रहे हैं। सरकार की गाइड लाइन की पूर्ण पालना करवाएंगे। हमने सभी शिक्षा अधिकारियों को गाइड लाइन की पालना करवाने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
– नवज्योति- कोई बच्चा कोचिंग में एडमिशन लेता है और कोचिंग के खिलाफ भविष्य में कोई कार्रवाई होती है तो फिर बच्चा कहां जाएगा। बच्चा तो अधर में लटक जाएगा?
संयुक्त निदेशक- अभिभावक को अच्छी तरह जांच परख कर ही मान्यता प्राप्त स्कूल में बच्चे को दाखिला करवाना चाहिए। बीच में किसी बच्चे के साथ ऐसा कुछ हो उससे पहले अभिभावक को सोच समझ कर निर्णय करना चाहिए। बिना मान्यता प्राप्त संस्थाओं ,शिक्षण कार्य अथवा सामूहिक शिक्षा (कोचिंग) देना गैर कानूनी है। शिक्षा अधिकारी उनके खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई करेंगे।
– नवज्योति-बच्चा स्कूल में ही जाएगा। कोचिंग में नहीं पढ़ेगा इसकी आप गारंटी देते हैं।
संयुक्त निदेशक- देखिए शिक्षा विभाग में कोचिंग का कोई नाम नहीं होता है। शिक्षा विभाग में शिक्षा के लिए मान्यता प्राप्त संस्थान और गैर मान्यता प्राप्त संस्थान दो ही नाम हैं। सरकार का उद्देश्य केवल नौकरी देना नहीं होता है। छात्र का सर्वांगीण विकास करना होता है ताकि बच्चा अच्छा इनसान बन सके। वह जीवन की चुनौतियों से सीख सके। हर मुश्किल हालात का सामना कर सके। यह सब उसे स्कूली शिक्षा से ही मिल सकता है।