अरुणाचल प्रदेश: आर्मी को देख पहाड़ों पर चढ़ जाते थे लोग, आज उन्हीं आदिवासियों के दुख-दर्द बांट रही है सेना

इटानगर। एक समय ऐसा था, जब सेना की गाड़ी देखते ही आदिवासी क्षेत्र के लोग पहाड़ों पर चढ़ जाते थे, लेकिन आज समय के साथ ही स्थितियां बदल गई है। अब देश की सुरक्षा का जिम्मा  संभाल रही भारतीय सेना अब  उन्हीं  आदिवासियों के हर दुख दर्द बांटने के साथ उन्हें मुख्य धारा में लाने का काम कर रही है। भारतीय सेना ‘ऑपरेशन सद्भावना’ के तहत बहुत से परोपकारी कार्य कर रही है। दूर-दराज के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के साथ ही अविकसित क्षेत्रों में विविध परियोजनाएं चला रही है। अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट सियांग जिले के सद्भावना विलेज के लोगों की माने तो उनके जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है। इन गांवों में छोटे से बड़े हर कार्यक्रम में सेना के जवान भागीदार बनकर उन्हें मुख्य धारा में लाने का काम कर रहे हैं। जयपुर से आए पत्रकारों के दल ने गुरुवार को आलू के पास स्थित दारका और बेने सदभावना गांव का दौरा किया।

दारका  के गांव प्रमुख मेडम  ईटे ने बताया कि सद्भावना प्रोजेक्ट के तहत सेना ने काफी काम किया है, काम का सिस्टम बदल गया है, पहले 100 में से 20 फीसदी लाभ ही हम तक पहुंचता था, लेकिन मोदीजी के पीएम बनने के बाद अब 70 फीसदी तक फायदा मिलता है। आर्मी ने काफी काम किया है, दोजी बस्ती में ब्रिज बनाया है, बस्ती में हर  तरह के दुख में आर्मी वाले आते है, मदद करते है। कंपोस्ट खाद की मशीन लगाई है। यहां पर बस्ती के पास छोटी नदी है, जिसके कारण लकड़ी लेन में परेशानी होती थी, सेना ने ब्रिज बनाया है। ट्रांसपोर्ट की सुविधा है,  हॉस्पिटल है,गांव में  200 घर है, 3 हजार की आबादी है। यहां के लोग पढ़ लिखकर दो जज ओर 6 अधिकारी बने है।। पहले आर्मी वालो  से डरते थे, अब आर्मी के बिना कुछ नही है। चाइना अगर आता है, तो पहले हम लड़ेंगे। हम भारत के है। बेने के ग्राम पंचायत मेंबर मुपीए लपातु  ने कहा कि सात हजार की आबादी है। आर्मी ने स्कूल के पास तारबंदी कराई है। सरकारी प्राइमरी स्कूल के  प्रिंसिपल टुमटे ईटे ने बताया कि पहले स्कूल में काफी बच्चों की संख्या थी लेकिन आवास पास के गांव में नए स्कूल बन जाने के कारण बच्चों की काफी संख्या कम हो गई है। 

लोगों की परेशानी के साथ उनका मुख्य धारा में लाने का काम 
वहीं दूसरी ओर सद्भावना प्रोजेक्ट के तहत काम कर रहे हैं सेवा के अधिकारियों का कहना है कि आदिवासी क्षेत्रों को लोगों को मुख्य धारा मिलने का काम करने के साथी उनके लिए आधारभूत सुविधाएं भैया करवाने का काम किया जा रहा है इसमें बच्चों के स्कूलों में पुनरुद्धार का काम करना, आवाजाही के लिए रास्ते बनाना, बच्चो को खेल गतिविधियों में शामिल करना है। साथी बच्चों के लिए फिटनेस सेंटर कंस्ट्रक्शन ब्रिज ग्रीर है शुद्ध पानी पिलाने के लिए प्रोजेक्ट जैसे कई काम किया जा रहे हैं वित्तीय वर्ष में वेस्ट सीमा जिले के गांव में 19 प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिन पर 3 करोड़ 14 लख रुपए खर्च होंगे।

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