एक्टर बनने के लिए MBBS के एग्जाम में जानबूझकर हुआ फेल, हर बार देता था गलत जवाब कि कहीं गलती से भी पास ना हो जाए


नई दिल्ली:

कई एक्टर्स आज जिस मुकाम पर हैं उसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत और संघर्ष किया है. ऐसी इंस्पिरेश्नल कहानियों ने दिल जीता है और ऐसे एक्टर्स को और उनके काम को पहचान मिलते देख खुशी होती है. हमारे पास ऐसे कई सितारे हैं जिन्होंने आज जो कुछ भी हासिल किया है उसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है. ओटीटी की दुनिया ने एक्टर्स को अपना टैलेंट साबित करने के लिए बहुत मौके दिए हैं. आज हम ऐसे ही एक एक्टर के बारे में बात कर रहे हैं जिन्होंने फिल्मों के साथ-साथ ओटीटी स्पेस पर भी राज किया है.

उन्होंने कुछ बेहतरीन फिल्मों कीं और उन्हें उनके काम के लिए दर्शकों ने खूब पसंद किया. जब हम उनके वेब शो की बात करते हैं तो फैन्स के दिलों में एक एक किरदार ताजा हो जाता है. उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर, अलीगढ़, स्पेशल 26, LOC कारगिल जैसी फिल्में की हैं. उन्होंने द फैमिली मैन, फर्जी, किलर सूप जैसे कुछ शानदार वेब शो किए हैं.

फिल्मों में आने के लिए MBBS एग्जाम में जानबूझकर हुए फेल

उम्मीद है आप लोग समझ ही गए होंगे. यहां हम एक्टर मनोज बाजपयी की बात कर रहे हैं. वह फिलहाल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के चर्चित सेलेब्स में से एक हैं. हालांकि यहां उनका सफर आसान नहीं रहा. उन्हें कई संघर्षों का सामना करना पड़ा और उनके माता-पिता उनके एक्टिंग को आगे बढ़ाने के फैसले के खिलाफ थे. उनके पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर बनें और इसलिए उन्होंने उन्हें MBBS का एग्जाम देने के लिए मजबूर किया. मनोज बाजपयी ने टीवी शो आप की अदालत में बताया कि कैसे उन्होंने जानबूझकर MBBS की एग्जाम में गलत जवाब दिए ताकि वे फेल हो जाएं. उन्होंने कहा कि वे अपना चेहरा छिपाते थे और जो भी ऑप्शन आता था उस पर निशान लगा देते थे ताकि वे MBBS की परीक्षा पास न कर सकें.

उन्होंने कहा कि अगर जवाब सही होते तो वे डॉक्टर होते. वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लेने के लिए दिल्ली आना चाहते थे. उनके माता-पिता भी चाहते थे कि वे UPSC की परीक्षा दें लेकिन उन्होंने उन तैयारियों में भी चीटिंग की. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री में ऑनर्स किया क्योंकि NSD में एडमिशन के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री की जरूरत थी.

हालांकि उन्हें NSD में तीन बार रिजेक्ट कर दिया गया और वे डिप्रेशन में भी चले गए. बाद में उन्होंने एक्टिंग कोच बैरी जॉन की वर्कशॉप में शामिल होकर मुंबई आने से पहले हुनर ​​सीखा. उन्होंने एक चॉल में रहना शुरू किया और कई छोटे-मोटे रोल किए. बाद में उन्होंने 1998 में सत्या में भीकू म्हात्रे के किरदार में अपनी परफॉर्मेंस के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता.

इसके बाद उन्होंने 2004 में फिल्म पिंजर के लिए अपना दूसरा नेशनल अवॉर्ड जीता, जब उन्हें स्पेशल जूरी अवार्ड से सम्मानित किया गया. 2020 में देवाशीष मखीजा की भोंसले के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीता. अब 2024 में उन्होंने फिर से नेशनल अवॉर्ड जीता है. गुलमोहर के लिए यह उनका चौथा नेशनल अवॉर्ड है.


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