कही घी घणां कही न मुट्ठीभर चणा...

इटावा। इटावा में सरकारी शिक्षा का सिस्टम भी अलग ही इटावा ब्लॉक में शिक्षा व्यवस्था के लिए हालात इस कदर है कि कही नामांकन है छात्रों का लेकिन शिक्षक नहीं है और कही नामांकन नहीं है, लेकिन फिर भी शिक्षक है। ऐसी स्थिति में इटावा क्षेत्र में सरकारी सिस्टम की खामी नजर आती है जो शिक्षा व्यवस्था की पोल को खोल रही है। कही जर्जर भवन में स्कूल चल रहे है, कही विद्यार्थी भी नहीं होने के बाद भी स्कूल बन रहे हैं। क्षेत्र में हाड़ौती की वह कहावत चरितार्थ हो रही है कि कही घी घणों कही न मुट्ठी भर चना वाली हो रही है। इटावा ब्लॉक में 199 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और सीनियर सेकेंड्री स्कूल है। जिसमे 18773 बालक और बालिकाओं का नामांकन है और अध्ययन करती है। क्षेत्र के 199 स्कूलों में शिक्षकों के 1505 पद है जिसमे से 1223 कार्यरत है और 282 पद खाली चल रहे हैं। 

गोरधनपुरा में 4 बच्चों को पढ़ा रहे 6 शिक्षक
इटावा ब्लॉक के खातौली ग्राम पंचायत के गोरधनपुरा गांव में करीब 50- 60 घरों की बस्ती है, लेकिन गांव के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ 4 बच्चों का दाखिला है उनको पढ़ाने के लिए भी 6 शिक्षक कार्यरत है। यह स्थिति गोरधनपुरा की नहीं है, इस तरह के 17 विद्यालय है जिनमें बच्चों से ज्यादा शिक्षक हैं, तो कही बच्चे ही नहीं है, लेकिन स्कूल को खोलने के लिए ही शिक्षक है। 

इटावा उच्च प्राथमिक द्वितीय में नामांकन
इटावा नगर के गेता रोड पर स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में 285 बच्चों का नामांकन है । शिक्षा विभाग ने 14 पद स्वीकृत कर रखे लेकिन आधे पद खाली है। प्रधानाध्यापक  सहित 7 पद रिक्त है। ऐसे में विद्यालय में पढ़ाई  नहीं हो पाती जिसके चलते नामांकन बढ़ नहीं रहा। इटावा तरह राजकीय सीनियर विद्यालय इटावा में 1052 बच्चों का नामांकन है 44 पद स्वीकृत है लेकिन 30 ही नियुक्त है 14 पद रिक्त है। राजकीय सीनियर विद्यालय निमोला में 373 नामांकन है 17 पद स्वीकृत हैं लेकिन 10 ही कार्यरत हे 7 रिक्त है। यही स्थिति सीनियर विद्यालय पीपल्दा में 11 पद रिक्त है। इसी तरह  ढ़ीपरी चंबल, महात्मा गांधी करवाड़, सीनियर विद्यालय रामपुरिया धाबाई , बम्बुलियाकला,  डूंगरली विद्यालयों की है। इसके साथ संस्कृत विद्यालयों की भी यही स्थिति है जिसके चलते क्षेत्र में जहा नामांकन है वहां शिक्षकों की कमी होने के चलते पढ़ाई नहीं हो पा रही ।

गौणदी में 2 बच्चों पर दो शिक्षक , डेढ़ दर्जन स्कूलों की यही हालत
गणेशगंज ग्राम पंचायत की गौणदी राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ 2 शिक्षक हैं। वही पढ़ाने के लिए भी सरकार ने दो अध्यापक लगा रखे है। इसके अलावा पुराना भवन जर्जर होने के चलते नया भवन का निर्माण भी चल रहा है। विद्यालय के शिक्षक रामगोपाल मीना बताते है कि विद्यालय का भवन जर्जर है, वही इटावा नजदीक होने के कारण ज्यादातर बच्चे इटावा पढ़ने जाते है। इसलिए विद्यालय में नामांकन नहीं बढ़ पा रहा है। इसी तरह फरेरा में 2 बच्चों पर 1 शिक्षक है। शेरगंज में 2 बच्चों पर 2 शिक्षक है। हनुमानपुरा में 4 बच्चे, शहनाहली में 4 नामांकन, माधोनगर 5, जयनगर में 7, खेड़ली नोनेरा में 7, सब्जीपुरा में 7, मीना रोहिली 8, आरामपुरा में 9, बम्बुलिया खुर्द 9, किशनपुरा में 10,कोल्हूखेड़ा में 10 बच्चों के स्कूलों में नामांकन है। 

स्कूल में किसी भी बच्चे का दाखिला नहीं
ब्लॉक के शहनावदा ग्राम पंचायत के कंवरपुरा और निमोला ग्राम पंचायत के शेरगढ़ स्कूल में किसी भी बच्चे का दाखिला नहीं है। नामांकन शून्य है लेकिन फिर भी शिक्षक लगा रखे है।

इनका कहना
क्षेत्र में 1505 पद शिक्षकों के स्वीकृत हैं, जिनमें 282 रिक्त है। 18773 बच्चों का 199 स्कूलों में नामांकन है। जिन विद्यालयों में नामांकन कम है वहां नियुक्त शिक्षकों को नामांकन बढ़ाने के लिए निर्देशित किया हुआ है। अगर ऐसे विद्यालयों में नामांकन नहीं  बढ़े तो भविष्य में मर्ज होंगे। जहां शिक्षक कम है वहां नोडल प्रभारी को व्यवस्थार्थ लगाने को लेकर भी निर्देशित किया हुआ है । वही सभी विषयों से उच्च अधिकारियों को अवगत करा रखा है। 
– इंदु हाडा, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी इटावा ब्लॉक

क्या कहते हैं ग्रामीणं
गौणदी गांव करीब 100 घरों की बस्ती है, लेकिन इस गांव के स्कूल भवन की बिल्डिंग जर्जर हो गई थी, जिसके चलते ग्रामीण बच्चे नहीं भेजते। नवीन भवन का कार्य चल रहा है, जल्द ही पूर्ण हो जाएगा। वही इटावा नजदीक होने के कारण ग्रामीण निजी विद्यालय में भेज देते हैं। अभी गत दिनों ग्रामीणों की बैठक लेकर नामांकन बढ़ाने को लेकर भी चर्चा की थी। 
– हेमंत बैरवा, सरपंच गणेशगंज

पीपल्दा विद्यालय में  400 के करीब बच्चे हैं, लेकिन 23 पद शिक्षकों के स्वीकृत होने के बाद भी 12 ही कार्यरत है, 11 रिक्त है जिसके चलते विद्यालय में अध्ययन नहीं हो पाता। रिक्त पदों को भरा जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई हो सके और निजी विद्यालय में नहीं जाना पड़े।
– नरोत्तम विकट, पीपल्दा ग्रामीण

गोर्वधनपुरा करीब 60-70 घरों की बस्ती है, लेकिन यहां से खातौली नजदीक है, सरकारी स्कूल में पढ़ाई कम होती है। अध्यापक भी समय पर नहीं आते ऐसे में लोग बच्चों को स्कूल में नहीं भेजते। साथ स्कूल के अंदर बाउंड्री में जंगली पेड़ पौधे लगे हुए हैं । 
– महेंद्र नागर ग्रामीण  गोवर्धनपुरा

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