भाभी जी घर पर हैं के तिवारी जी से खास बातचीत में सुनने को मिले मजेदार किस्से
नई दिल्ली:
कोई भी टीवी शो या फिल्म मिलना किसी स्ट्रगलिंग एक्टर के लिए बहुत ही बड़ी बात मानी जाती है. इस एक मौके तक पहुंचने के लिए उन्हें ना जाने कितने ही पापड़ बेलने पड़ते हैं. लंबी लाइनों में लगना पड़ता है. घंटों इंतजार करना पड़ता है. दिन रात का फर्क भुलाकर केवल अपने लक्ष्य की तरफ ध्यान लगाना होता कि किसी तरह एक मौका मिल जाए. एक चांस के लिए कड़ी दौड़ धूप की कहानियां आपने सुनी ही होंगी लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बस एक ऑडिशन के लिए…जिसमें कि आपको भरोसा भी नहीं होता कि काम मिलेगा या नहीं…उस एक ऑडिशन तक के लिए लोग कलाकार गंजे होने लगे थे. इस वजह से मुंबई में इतने गंजे इकट्ठे हो गए थे कि लोकल ट्रेन में हर चौथा आदमी सिर मुंडाए ही दिख रहा था. क्या है ये किस्सा ? ये किस्सा हमें बताया था भाभी जी घर पर हैं एक्टर रोहिताश्व गौड़ ने.
‘तिवारी जी’ ने सुनाया मजेदार किस्सा
रोहिताश्व गौड़ ने बताया, जब हमने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा पास कर लिया उस समय जो टीवी था वो अचानक से उभर कर आ गया था. उस वक्त टीवी पर भारत एक खोज, चाणक्य, रामायण, महाभारत, तमस मतलब बड़े अच्छे अच्छे प्रोजेक्ट अचानक से शुरू हो गए थे. हम में से कुछ लोगों को लगने लगा कि टीवी भी एक करियर हो सकता है. टीवी से कमाया भी जा सकता है. ये मेरे दिमाग में आया और मैं मुंबई आ गया. लेकिन यहां का माहौल अलग था क्योंकि सिर्फ डीडी-1 था. उस समय चाणक्य बन रहा था तो उसी के ऑडिशन होते रहते थे तो बॉम्बे में आधी जगह तो गंजे ही नजर आते थे. क्योंकि जो भी ऑडिशन के लिए जाता था चंद्रप्रकाश द्विवेदी उसे कहते थे कि पहले गंजे हो जाए. इस वजह से ट्रेन में उस वक्त बहुत गंजे मिला करते थे.