खेलों में प्रोत्साहन ना  ही सुविधाएं, कैसे लाएं मेडल

कोटा । खिलाड़ी अपने शहर राज्य ओर देश का नाम रोशन करने के लिए जी जान लगा देते हैं। एक एक प्रतियोगिता जीतने के लिए ये खिलाड़ी दिन रात एक कर देते हैं। लेकिन इन खिलाड़ियों को इनकी मेहनत का ना बराबर सम्मान मिलता है और ना प्रोत्साहन। कोटा में कई खेलों के खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद भी कई तरह की सुविधाओं के लिए मोहताज हैं। इसके साथ ही इन खिलाड़ियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि भी पिछले 6 साल से नहीं दी गई है।

ट्रैक एथेलेटिक्स के खिलाड़ियों के पास नहीं साधन और मैदान
कोटा जिले में अन्य खेलों की तरह ही ट्रैक एथेलेटिक्स के खिलाड़ी भी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कोटा का नाम रोशन कर रहे हैं। लेकिन ट्रैक एथेलेटिक्स में आने वाले भाला फेंक, गोला फेंक, डिस्कस थ्रो और हेमर थ्रो के खिलाड़ियों के पास आज खुद का मैदान तक नहीं है। ट्रैक एथेलेटिक्स के कोच श्याम बिहारी नाहर ने बताया कि वो अपने दम पर ही एथेलीटों को ट्रेनिंग देते हैं। खिलाड़ियों के पास खेलों के पर्याप्त साधन तक नहीं है। इन खिलाड़ियों को अपने खर्चे पर ही सारी व्यवस्थाएं जुटानी होती हैं। हेमर थ्रो के अंडर 20 के नेशनल खिलाड़ी सत्यम ने बताया कि वो नेशनल में ब्रांज मेडल जीत चुके हैं। लेकिन मेडल जीतने के बाद उनका ना किसी ने सम्मान किया ना प्रोत्साहन दिया। साथ ही क्रिड़ा संगम से खेल के सामान मांगने पर वहां से भी मना कर दिया जाता है। इसी तरह भाला फेंक खिलाड़ी कृतिका मीणा ने बताया कि ट्रैक एथेलीटों के लिए कोटा में कोई स्थान नहीं है हम जहां जाते हैं वहीं से कोई ना कोई भगा देता है। श्री नाथपुरम स्टेडियम में भी ट्रैक बनाया लेकिन वहां भी दौड़ लगाने वाले और अन्य खिलाड़ी विरोध करने लग जाते हैं। 

तीरंदाजी में भी नहीं मिलता प्रोत्साहन
ट्रैक एथेलेटिक्स की तरह ही कोटा में तीरंदाजी के कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो राष्ट्रीय स्तर तक कोटा और प्रदेश का परचम लहरा चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी ये खिलाड़ी अपने दम पर ही सबकुछ करने को मजबूर हैं। क्योंकि इन्हें न तो प्रशासन और न ही क्रीड़ा परिषद की ओर से किसी प्रकार का प्रोत्साहन मिलता है। तिरंदाज पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं कि वो तिरंदाजी में राष्ट्रीय स्तर तक खेल चुके हैं और तिरंदाजी में 30 से ज्यादा पदक हासिल कर चुके हैं। लेकिन आज भी उन्हें अपने अभ्यास का खर्चा खुद उठाना पड़ता है क्योंकि कोटा में तिरंदाजी का अच्छा कोच तक मौजूद नहीं है। पुष्पेंद्र बताते हैं कि तिरंदाजी के साथ ही कोटा में कई खेल ऐसे हैं जिनके खिलाड़ी अपने दम पर ही सब कुछ कर रहे हैं। आज भी उन्हें प्रशासन और क्रीड़ा परिषद की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता। अन्य तीरंदाज खिलाड़ी हिमांशी राजावत ने बताया कि स्टेट और राष्ट्रीय स्तर में पदक जीत चुकी हैं लेकिन किसी की ओर से सहायता नहीं मिली साथ ही क्रीड़ा परिषद की ओर से मिलने वाली पुरस्कार राशि भी पिछले 6 साल से अटकी हुई है।

पुरस्कार राशि 2017 से अटकी हुई
कोटा के कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिनकी प्रोत्साहन राशि साल 2018 से नहीं मिली है। कोटा की वुशू खिलाड़ी ईशा गुर्जर के साल 2018 व 2019 में आयोजित स्टेट वुशू चैंपियनशिप में कांस्य व स्वर्ण पदक व राष्ट्रीय वुशू चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने पर राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि की घोषणा की गई थी जो अभी तक प्राप्त नहीं हुई। ईशा की कुल 3 लाख 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि रुकी हुई है। इसी तरह बॉक्सिंग प्लेयर निशा गुर्जर द्वारा भी साल 2021, 2022 व 2023 में आयोजित राज्य स्तरीय महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि की घोषणा की गई थी जो अभी तक जारी नहीं हुई है। निशा प्रोत्साहन राशि अभी तक जारी नहीं हुई है। वहीं वुशू खिलाड़ी प्रियांशी गौतम के पिता अशोक गौत्तम ने बताया कि प्रियांशी द्वारा साल 2021 में 20वीं व 2022 में 21वीं नेशनल सब जूनियर वुशू प्रतियोगिता में गोल्ड के साथ साल 2023 में 67वीं स्कूल गेम नेशनल प्रतियोगिता वुशू प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने पर सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि की घोषणा की गई थी जो अभी तक पेंडिग है।

इनका कहना है
खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के लिए कोच लगाए गए हैं, किसी भी खिलाड़ी के लिए व्यक्तिगत रूप से कोच और संसाधान की व्यवस्था नहीं की जाती है। जिन भी क्षेत्रों में कमी होगी उन्हें दूर करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। प्रोत्साहन राशि के लिए सभी खिलाड़ियों की रिपोर्ट तैयार कर जयपुर फाइल भेजी हुई है।
– मधु चौहान, जिला खेल अधिकारी, कोटा

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