जाट आरक्षण पर लड़ने से लेकर उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने तक, जानें कौन हैं जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ बने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. उपराष्ट्रपति पद के लिए आगामी 6 अगस्त को चुनाव होने हैं. एनडीए द्वारा इस पद के लिए दावेदार बनाए जाने के बाद धनखड़ का अब उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है. आइये जानते हैं कौन जगदीप धनखड़ जिन्हें बीजेपी ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. जगदीप धनखड़ एक समय में राजस्थान की सियासत में एक चर्चित चेहरा हुआ करते थे. वो राजनीति में आने से पहले राजस्थान हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं. उन्हें राजनीति का मंजा हुआ खिलाड़ी माना गया है.

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उन्होंने राजस्थान में जाटों के आरक्षण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. धनखड़ मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनूं से हैं. वो कानून, सियासत, सियासी दांवपेंच औऱ हर पार्टी के अंदर अपने संबंधों की महारत के लिए जाने जाते हैं. वे राजस्थान की जाट बिरादरी से आते हैं. इस समुदाय में धनखड़ की अच्छी खासी साख है. राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ को देखते हुए ही बीजेपी ने उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.

जगदीप धनखड़ वैसे तो पहले जनता दल और कांग्रेस पार्टी में भी रह चुके हैं लेकिन अब वो बीते दो दशक से बीजेपी के साथ हैं. दूसरे जाट नेताओं की तरह ही धनखड़ भी देवी लाल के साथ जुड़े रहे हैं. वीपी सिंह सरकार से खुदको अलग करने के बाद वो 1990 चंद्रशेखर सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने. बाद में पीवी नरसिम्हा राव के पीएम बनते ही धनखड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत के बढ़ते दबदबे को देखते हुए वो बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में उन्हें वसुंधरा राजे के करीबियों में गिना जाने लगा. दूसरे नेताओं के साथ राजस्थान में बाद में जाटों को ओबीसी में शामिल कराने को लेकर आंदोलन करते रहे. धनखड़ जिन्हें मंजा हुआ राजनीतिज्ञ माना जाता रहा है, ने जयपुर के महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. 1978-79 में उन्होंने जयपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. ग्रेजुएशन और एलएलबी की डिग्री लेने से पहले वो सैनिक स्कूल भी गए. उनका जन्म 1951 में राजस्थान के झुंझुनू में हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि धनखड़ ने पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी से दो-दो हाथ करके बीजेपी के प्रति अपनी वफादारी साबित की. उन्हें इसका ही इनाम मिला है. 

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