तीन साल की उम्र से भरतनाट्यम, पद्मश्री गीता चंद्रन से ली दीक्षा, आज विदेशों में बिखेर रहीं जलवा


श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में इन दिनों पश्चिम बंगाल की रहने वाली मोमिता चटर्जी भरतनाट्यम के गुर सिखा रही हैं. वह उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों के स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को इस पारंपरिक नृत्य कला के बारे में शिक्षा देती हैं. वर्तमान में मोमिता गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्रों को भरतनाट्यम का प्रशिक्षण दे रही हैं. मोमिता केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस नृत्य शैली का प्रदर्शन कर चुकी हैं और भरतनाट्यम का जलवा बिखेरा है.

3 साल की उम्र से शुरू किया भरतनाट्यम
मौमिता चटर्जी की नृत्य यात्रा तीन साल की उम्र में शुरू हुई थी. वे कोलकाता की रहने वाली हैं और उनका घर शास्त्रीय संगीत और नृत्य से भरा हुआ था, जिससे उनका रुझान इस कला की ओर बढ़ा. अब तक 28 सालों से भरतनाट्यम करती आ रही मोमिता, दूरदर्शन पर भी बतौर भरतनाट्यम आर्टिस्ट परफॉर्म कर चुकी हैं. उन्होंने सिंगापुर, इंग्लैंड, जर्मनी, अमेरिका, स्विट्जरलैंड और कई अन्य देशों में भरतनाट्यम का प्रदर्शन किया है. इसके साथ ही वे ऑस्ट्रेलिया में भरतनाट्यम प्रशिक्षण सेंटर भी चला रही हैं.

पद्मश्री गीता चंद्रन से ली भरतनाट्यम की शिक्षा
मौमिता चटर्जी ने अपनी नृत्य शिक्षा पद्मश्री गीता चंद्रन से ली थी. गीता चंद्रन के मार्गदर्शन में उन्होंने भरतनाट्यम की बारीकियों को सीखा और इसे अपनी पहचान बनाया. मोमिता का मानना है कि भरतनाट्यम एक ऐसी कला है जिसे पूरी दुनिया तक पहुंचाना चाहिए. उनके प्रयासों के चलते भारतीय नृत्य को वैश्विक मंच पर जगह मिल रही है. भारत सरकार भी उनकी मेहनत को सराहते हुए उन्हें विभिन्न मंचों पर अपने कार्य को प्रस्तुत करने का अवसर दे रही है.

FIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 09:04 IST

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