कोटा। नगर विकास न्यास की ओर से बंधा धर्मपुरा में पशु पालकों के लिए विकसित की गई देव नारायण आवासीय योजना में लगाए गए डेयरी प्लांट का स्थानीय पशु पालकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। डेयरी में बाहर से दूर लिया जा रहा है और योजना के पशु पालकों को शहर में लाकर दूध बेचना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार के समय में तत्कालीन स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के प्रयासों से बंधा धर्मपुरा में देव नारायण आवासीय योजना विकसित की गई थी। जिसमें शहर में बाड़े बनाकर व सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रह रहे पशु पालकों को शिफ्ट किया गया है। यहां सभी को मकान व पशुओं के लिए बाड़े बनाकर दिए गए हैं। जिससे पशु पालक अपना जीवन स्तर सुधार सके। इसके साथ ही यहां पशु पालकों के दूध क्रय करने के लिए डेयरी प्लांट भी लगाया गया है। जिससे स्थानीय पशु पालकों द्वारा योजना में ही अपना दूध डेयरी में दिया जा सके। जिससे उन्हें दूध बेचने के लिए परेशान नहीं होना पड़े। लेकिन जिस मकसद से डेयरी प्लांट लगाया गया था उसका स्थानीय पशु पालकों को लाभ नहीं मिल रहा है।
योजना में रोजाना 8 हजार लीटर दूध उत्पादन
स्थानीय पशु पालक मंगला गुंजल का कहना है कि यहां योजना में करीब 400 पशु पालक है। अधिकतर पशु पालकों के पास पशु होने से हर घर में दूध निकल रहा है। रोजाना करीब 200 टंकी यानि करीब 8 हजार लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में उस दूध को खपाने के लिए डेयरी माध्यम है लेकिन वहां दूध नहीं लेने से उसे शहर में लाकर बेचना पड़ रहा है। जिससे पशु पालकों को न तो डेयरी का लाभ मिल रहा है । वरन् पशु पालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
शहर में बेचने पर हो रहा नुकसान
देव नारायण योजना निवासी पशु पालक रंगलाल कटारिया ने बताया कि डेयरी में दूध नहीं लेने से पशु पालकों को कोटा शहर में आकर दूध बेचना पड़ रहा है। अधिक लीटर दूध वालों को तो शहर में आने-जाने पर खर्चा निकलने से अधिक नुकसान नहीं हो रहा है। जबकि 10 से 15 लीटर दूध वालों को शहर में आने पर एक बार में 100 रुपए का पेट्रोल व चाय नाश्ते समेत अन्य खर्चा की करना पड़ रहा है। जिससे जितने का दूध नहीं बिकता उससे ज्यादा तो खर्चा हो रहा है। साथ ही शहर में आने-जाने पर समय भी अधिक लग रहा है।
फैट के हिसाब से नहीं दिया जा रहा अतिरिक्त भुगतान
देव नारायण आवासीय योजना विकास समिति के अध्यक्ष किरण लांगड़ी ने बताया कि न्यास की ओर से डेयरी प्लांट लगाते समय कार्यादेश दिया गया था। जिसके तहत स्थानीय पशु पालकों को उनके दूध में फैट के हिसाब से प्रति फैट 50 पैसे का अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। लेकिन हालत यह है कि डेयरी में उस शर्त की पालना नहीं हो रही है। जिससे पशु पालकों को डेयरी में दूध देने पर नुकसान हो रहा है। डेयरी में बाहर से लिए जा रहे सस्ते दाम पर ही भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में पशु पालक यहां दूध नहीं दे रहे है। डेयरी में बाहर से ही दूध क्रय किया जा रहा है। लांगड़ी ने बताया कि एक लीटर दूध में यदि 6 से 8 फैट होते हैं तो प्रति लीटर 3 से चार रुपए का नुकसान हो रहा है।
पशु चिकित्सा केन्द्र व डिस्पेंसरी में डॉक्टर नहीं
देव नारायण आवासीय योजना निवासी पशु पालक जीवराज काड ने बताया कि योजना में पशुओं के उपचार के लिए पशु चिकित्सा केन्द्र तो बना रखा हैै। उसका भवन भी बना हुआ है लेकिन उस पर ताला लटका है। इसका कारण वहां चिकित्सक ही नहीं है। इसी तरह से बीमार लोगों के उपचार के लिए डिस्पेंसरी तो बनी हुई है लेकिन वहां भी डॉक्टर नहीं होने से उस पर भी ताला लटका हुआ है। ऐसे में न तो पशुओं का उपचार हो पा रहा है और न ही लोगों का। इनके लिए शहर में ही जाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि योजना में इंगलिश मीडियम स्कूल का संचालन रोटरी क्लब कोटा द्वारा किया जा रहा है। वह सही ढंग से चल रहा है।
पशु पालकों को करेंगे तैयार
डेयरी में स्थानीय पशु पालकों से ही दूध लेने की योजना है लेकिन पशु पालक डेयरी में दूध ही नहीं दे रहे है। अधिकतर पशु पालक शहर में दूध बेचना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में बाहर से ही दूध लेना पड़ रहा है। प्रयास करेंगे कि स्थानीय पशु पालकों से बात कर उन्हें डेयरी में दूध देने के लिए तैयार किया जाएगा।
– जगदीश शर्मा, एक्स ईएन केडीए