जयपुर। संकोच इतना था कि कहीं जाने पर थाली में दूसरी चपाती लेने में भी झिझक होती थी…किसी के सामने बोलना तो दूर सामने वाले के देखने पर आंखें जमीन खुरेदने लगती थी, लेकिन आज छात्राओं को ‘गुड टच, बेड टच’ की जानकारी देकर जीवन का सबक सिखा रही हैं। जीवन में एक दौर ऐसा भी रहा है, जब पतिदेव को ऑफिस छोड़ने के लिए निवेदन करना पड़ता था, कही जाने पर उनकी मिजाजपुर्सी की जाती थी, लेकिन आज खुद ही फरार्टे से बाइक पर दौड़ती हुई पहुंच जाती हैं। सबसे बड़ा बदलाव तो यह आया कि आत्मविश्वास ने जीवन में उतरकर जड़ें जमा ली है। … यह लब्बोलुआब है- जयपुर कमिश्नरेट की निर्भया स्क्वॉड टीम के सदस्यों का।
निर्भया की स्थापना से अब तक का लेखा-जोखा
23,937 मनचलों पर प्रभावी कार्रवाई।
2,483 मनचलों को गिरफ्तार किया।
17,86,524 महिलाओं को कानून से सम्बंधित जानकारियां दी गई।
4,64,669 बालिकाओं/ महिलाओं को एक दिन का आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया।
ह मारी निर्भया टीम ने महिलाओं और युवतियों को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान से जीना सिखाया है। बच्चियां ना सिर्फ ‘बेड टच, गुड टच’ ही नहीं सिख रही है बल्कि वे यह भी सिख रही हैं कि जब संकट में फंसे तो उस संकट से कैसे निकल सकते हैं?
-प्रीति चन्द्रा,
अति. पुलिस कमिश्नर, जयपुर
प हले धैर्य जल्दी ही जवाब दे जाता था, लेकिन अब धैर्य में अपार वृद्धि हुई है। मिसाल के तौर पर-जब तक टीम का आखिरी खिलाड़ी आउट नहीं हो जाता, तब तक हार नहीं मानती हूं। आत्मविश्वास में कई गुणा वृद्धि होने के साथ ही कुछ सोसायटी को भी पे करे, इस तरह की भावनाएं बनी हैं।
-सुनीता चौधरी, प्रभारी निर्भया स्क्वॉड,
सब इंस्पेक्टर,जयपुर
एक नजर में
जयपुर कमिश्नरेट में 24 सितम्बर, 2019 से स्क्वॉयड शुरू हुई,इस महिला गश्ती दल में 198 नीली और सादा वर्दी में तैनात हैं। स्कूल, कॉलेज, बस स्टॉप,शॉपिग माूल, मार्केट, जिम, लाईब्रेरी,हॉट बाजार, कॉचिंग स्थल, रेस्टारेंट,डिस्को बार सहित पार्क के करीब 235 पाइन्टस चिन्हित किए हैं,जहां पर मनचलों पर निगाह रखती हैं।
मु रलीपुरा की एक छोटी बच्ची हमारे पास आई बोली-भाई को प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं, जबकि मुझे सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं। हमने प्रयास कर उसे उसके भाई के साथ प्राइवेट स्कूल में जाने की व्यवस्था कराई।
-मंजू कुमारी
बा त करने में शालीनता आई है। पहले लगता था कि पुलिस में कठोर हो गई हूं, लेकिन अब निर्भया से दूसरों के प्रति विनम्रता आई है। रात में कभी फोन की घंटी बजती थी तो दिल आशंका से धक-धक करने लगता, लेकिन आज स्वयं पर विश्वास जमा है।
-सुशीला चौधरी
पु लिस में आने तक साइकिल तक नहीं चलाई थी, कभी उनसे कहते थे, लेकिन गौर नहीं होता था, लेकिन निर्भया में आने के बाद बाइक से मनचलों पर लगाम कसते हैं। कभी कहीं जाना होता तो उनकी मनुहार करनी पड़ती थी, आज तो बच्चे कहते हैं कि मम्मी, पापा चले तो ठीक, नहीं तो आप ही बाइक चलाकर चलो।
-सुमन कुमारी
प ति बीकानेर में नौकरी करते हैं, लेकिन अब मैं निर्भय होकर पारावारिक और सरकारी दोनों काम करती हूं। काम को अधिक परिष्कृत तरीके से करना भी सिखा है।
-मगन कुमारी
नि र्भया ने ‘निर्भय’ बना दिया। आंखें अधिक चौकस हुई हैं। परिजन भी टोंकते हैं कि अब तो ड्यूटी पर नहीं हो, क्यों अधिक अलर्ट रहती हो।
-सुनीता चौधरी, कांस्टेबल
दे खने का दृष्टिकोण ही बदल गया। सेवा के भाव ने जन्म लिया है और अब बल के स्थान पर बुद्धि का प्रयोग करते हैं।
-मनोहर
पु लिस में आने से थोड़ा रूखापन आ ही जाता है, लेकिन आज रूखापन गायब और संवेदना बढ़ी है। यह बदलाव सुकून देता है।
-शीला
ब चपन में लड़की होने से कई तरीके की बंदिशें होती थीं, लेकिन आज कोई लड़की बंदिशों में नहीं रहे। कोई लड़की मदद मांगती हैं तो उसकी पूरी मदद करते हैं।
-ममता कुमारी
सं कल्प शक्ति में वृद्धि हुई है, यदि एक बार कोई संकल्प ले लिया तो उसे पूरा करके दम लेती हूं।
-माया बैंसला