प्राइवेट स्कूलों को महंगी पड़ सकती है अब एडमिशन में आनाकानी

कोटा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शहर के प्राइवेट स्कूलों द्वारा आरटीई में चयनित विद्यार्थियों को एडमिशन देने में आनाकानी की जा रही है। अभिभाावकों की लागतार शिकायतें मिलने के बाद शिक्षा विभाग अब एक्शन मोड में आ गया। विभाग की ओर से सभी प्राइवेट स्कूलों को सख्त हिदायत दी गई है कि सत्र 2024-25 में नर्सरी कक्षाओं में दाखिला देने में आनाकानी की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, सरकार के आदेशों का उल्लंघन करना महंगा पड़ सकता है। शिक्षा के अधिकार को लेकर सरकार गंभीर है। 

मान्यता समाप्ती तक की हो सकती है कार्रवाई
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, आरटीई के तहत प्री-प्राइमरी की नर्सरी कक्षाओं में चयनित बच्चों को एसआर नम्बर अलोट होने और दस्तावेज सही होने के बावजूद कुछ प्राइवेट स्कूलों द्वारा एडमिशन नहीं दिए जाने को विभाग ने गंभीरता से लिया है। संबंधित विद्यालयों को विभाग द्वारा नोटिस देकर व फोन पर भी सख्त हिदायत दी जा रही है। इसके बावजूद निजी स्कूलों की मनमानी जारी रहती है तो उनके खिलाफ आरटीई एक्ट के अर्न्तगत सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, विभाग द्वारा संबंधित स्कूलों में जांच दल भेजे जाएंगे। दल के सदस्य एसआर नम्बर, आरटीई के रजिस्टर, आवेदन क्रमांक सहित कई दस्तावेज खंगालेंगे। जिनमें खामियां मिलने पर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट तैयार की जाएगी। 

आरटीई में पंजीकृत हैं 1104 स्कूल 
कोटा जिले में करीब 1104 निजी स्कूल आरटीई में पंजीकृत हैं। इनमें से अधिकतर निजी स्कूल चयनित बच्चों को एडमिशन दे रहे हैं लेकिन कुछ स्कूल मनमानी कर रहे हैं। जिसकी वजह से अभिभावक शिक्षा विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं। वहीं, प्री-प्राइमरी कक्षाओं का पुनर्भरण राशि को लेकर निजी स्कूल संघ सरकार के आदेश के खिलाफ कोर्ट की शरण में जा चुका है। वर्तमान में हाईकोर्ट की डबल बैंच में मामला विचाराधीन है। 

प्रतिदिन आ रही 30 से ज्यादा शिकायतें  
शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई के विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं दिए जाने की लगातार शिकायतें आ रही है। जिनमें स्कूलों द्वारा अभिभभावकों से फीस मांगने, वरियता होने के बावजूद दाखिला न देने सहित अन्य संबंधित 30 से ज्यादा शिकायतें प्रतिदिन मिल रही हैं। जिस पर तुरंत संबंधित स्कूलों को फोन कर समाधान करवाया जा रहा है। हालांकि, अधिकतर स्कूल एडमिशन दे रहे हैं लेकिन कुछ आनाकानी कर रहे हैं।  

क्या कहते हैं अभिभावक
केस 1 – मानपुरा स्थित निजी स्कूल में मेरी पुत्री का नर्सरी में आरटीई के तहत प्रवेश हुआ है। लेकिन, स्कूल वाले दाखिला नहीं दे रहे। जबकि, पोर्टल पर प्रवेशित लिखा आ रहा है। मामले की शिक्षा विभाग में शिकायत भी दी है। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।
– ताराचंद मेहरा, मानपुरा 

केस 2 – तलवंडी स्थित कॉन्वेंट स्कूल में मेरे बालक का नर्सरी में आरटीई के तहत प्रवेश हुआ है। वरियता सूची में क्रमांक 41 है। स्कूल वाले एडमिशन नहीं होने की बात कहकर गुमराह कर रहे हैं। पहले भी शिक्षा विभाग को लिखित में शिकायत दे चुके हैं। लेकिन, समाधान नहीं हुआ।  
– पारसमल, अभिभावक

मेरी पुत्री कर्तिका (परिवर्तित नाम) का नर्सरी में नम्बर आया है। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए स्कूल गया तो वहां 11 हजार रुपए फीस जमा करवाने को कहा गया। फीस के अभाव में एडमिशन नहीं देने की बात कही। विभाग को शिकायत की है, अब देखते हैं क्या होता है। 
– अजय नागर, अभिभावक

इनका कहना है
सरकार ने भुगतान प्रक्रिया में बदलाव करके अभिभावकों एवं निजी विद्यालयों के बीच विवाद खड़ा कर दिया है। न सरकार पैसा देना चाहती है और न ही अभिभावक। इस कारण से बच्चा निशुल्क शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए की प्री-पाइमरी कक्षाओं का भुगतान करें ताकि आरटीई का लाभ बच्चों को मिल सके। हमने तो तीन साल बच्चे को पढ़ा दिया अब सरकार पैसे देने से मुकर रही है। 
– जमना शंकर प्रजापति, जिलाध्यक्ष, निजी स्कूल संचालक संघ  

प्री-प्राइमरी कक्षाओं में एडमिशन को लेकर निजी स्कूलों द्वारा आनाकानी  किए जाने के मामले आते हैं, जिस पर तुरंत संबंधित स्कूल को फोन कर सख्त हिदायत देकर समाधान करवाया जा रहा है। इसके बावजूद शिकायत मिलती है तो उन स्कूलों को नोटिस जारी किए जाएंगे। वहीं, किसी स्कूल की बड़े लेवल पर अनियमितता सामने आती है तो उसके खिलाफ मान्यता समाप्ती की कार्रवाई भी की जा सकती है।
– केके शर्मा, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक शिक्षा विभाग  

इस तरह की शिकायतें आ रही हैं, जिनका कार्यालय द्वारा तुरंत प्रभाव से समाधान करवाया जा रहा है। आरटीई नियमों का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों को नोटिस देकर पाबंद किया जाएगा। इसके बावजूद चयनित विद्यार्थियों को दाखिला नहीं देते हैं तो निदेशालय के मार्गदर्शन में संबंधित स्कूलों के खिलाफ मान्यता संबंधी कार्रवाई के प्रस्ताव भिजवाए जा सकेंगे। 
– यतीश विजय, जिला शिक्षाधिकारी, प्रारंभिक, शिक्षा विभाग 

By admin