अल्मोड़ा : अल्मोड़ा में कई सालों के संघर्षों के बाद मेडिकल कॉलेज खुल तो गया, लेकिन फैकल्टी की कमी से मरीज और स्टूडेंट्स परेशान हैं. हद तो तब हो गई कि स्टूडेट्स को प्रैक्टिकल करने के लिए बॉडी ही नहीं है. ऐसे में कैसे बेहतर डॉक्टर इस मेडिकल कॉलेज से निकलेगें. वे किन परेशानियां में पढ़ाई कर रहे हैं और उनकी क्या-क्या मांगे हैं, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज से आइये आपको दिखाते हैं इस रिपोर्ट में..
साल 2022 के जनवरी में पहले बैच की पढ़ाई के साथ ही कुमांऊ का पहला मेडिकल कॉलेज शुरु हो गया, लेकिन पिछले 3 सालों में न तो फैकल्टी पूरी हो पाई है और न ही डॉक्टर बन रहे स्टूडेट्स को बॉडी मिल पाई. अब कॉलेज के प्राचार्य हल्द्वानी और देहरादून के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों को एक बॉडी देने के लिए पत्र लिखा है और लोगों से देह दान करने की अपील की है.
मेडिकल कॉलेज की बदहाली पर विपक्ष को भी चिकित्सा शिक्षा विभाग पर हमला करने का मौका मिल गया है. विधायक मनोज तिवारी ने कैबिनेट मंत्री धन सिंह पर हमला बोला और कहा कि चिकित्सा शिक्षा के साथ ही जिले के प्रभारी मंत्री होने के बाद भी व्यवस्था ठीक नहीं हो पा रही है तो अन्य जिलों का क्या हाल हो रहा होगा?
अब देखना होगा कि देहरादून या हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा कॉलेज को कोई बॉडी देंगे या फिर सिर्फ किताबों में पढ़कर स्टूडेंट्स डॉक्टर बन पाएंगे. लावारिस बॉडी को भी प्राचार्य ने डीएम से अंतिम संस्कार के बजाय कॉलेज को देने की मांग की है, जिससे बेहतर डॉक्टर इस कॉलेज से निकल पाएं.
FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 13:03 IST