बच्चों की आंखों में दिखें ये लक्षण, तो भूलकर भी न करें नजरअंदाज, मोबाइल देना कर दें बंद


देहरादून: आजकल छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में भी फोन देखने को मिलता है. बहुत ज्यादा फोन इस्तेमाल करने की वजह से कई बच्चों में मायोपिया की शिकायत हो रही है. मायोपिया होने पर पास की नजर में दोष आ जाता है. दूर की वस्तुएं भी साफ नजर नहीं आती. इसमें बच्चे की आंखों की पुतली का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना के बजाय थोड़ा आगे बनता है. इससे बच्चा तिरछा देखता है और बार-बार पलके झपकाता है.

बच्चों की आंखों का जरूर रखें ख्याल
देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ हिमानी पाल ने कहा कि मायोपिया आंखों के रिफ्लेक्टिव के एरर होते हैं. इसमें बच्चों को बचपन से ही देखने में दिक्कत होती है, जिसके चलते उनके चश्मा लग जाता है. भारत में स्कूल जाने से पहले बच्चे की आंखों की जांच नहीं करवाई जाती है, बल्कि विदेशों में ऐसा होता है. यही वजह है कि भारत में बच्चों में ज्यादातर यह शिकायत देखी जाती हैं.

आंखों की समस्या को न करें नजरअंदाज
अगर 7 साल बाद बच्चे की आंखों की दिक्कत का पता चलता है, तो उसमें लेजी आई जैसी दिक्कत हो जाती है. इससे आंखों की बड़ी बीमारी होने का भी रिस्क रहता है. ऐसे में हम नॉर्मल विजन तक उसे ठीक नहीं कर पाते हैं. इसलिए बच्चों के एडमिशन से पहले उसकी आंखों की स्क्रीनिंग होनी चाहिए और हर 6 महीने में उसकी आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए.

ऐसे रखें आंखों का  ख्याल
डॉ हिमानी पालने कहा कि मोबाइल फोन और लैपटॉप आदि का ज्यादा उपयोग करने से मायोपिया होता है. इसलिए आप अपने बच्चों को मोबाइल फोन का आदि न होने दें. उसे मोबाइल फोन से दूर रखें और फिजिकल एक्टिविटी करवाएं. आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन दें. सिर में दर्द, दूर देखने में परेशानी, दूर देखने पर आंखों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अच्छे नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाइए. बच्चा अच्छी नींद ले और दूर की चीजों को एकाएक देखता न रहे.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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